युवा पीढी के लिए प्रेरणा बने 75 साल के राधाकान्त
संसू झारसुगुड़ा अपने कर्म को ही सब कुछ मानने वालों के लिए उम्र कोई बाधा नही होती। इस
संसू, झारसुगुड़ा : अपने कर्म को ही सब कुछ मानने वालों के लिए उम्र कोई बाधा नही होती। इस बात को प्रमाणित किया है 75 साल के वृद्ध राधाकांत चौधरी ने। वे आज भी रिक्शा लेकर शहर की गली गली घूम कर कबाड़ खरीदते हैं और उसे बेचकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। वहीं मौजूदा दौर में वैसे लोगों की कमी नहीं है जो बिना मेहनत किए पैसे कमाना चाहते हैं। उनलोगों के लिए राधाकांत एक उदाहरण हैं।
बता दें, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के रहने वाले राधाकांत आज से 45 साल पहले झारसुगुड़ा आए थे। तब से वे वह शहर की बस्ती व गलियों में घूम-घूम कर लोहा, प्लास्टिक, रदी कागज समेत अन्य सामान खरीदकर कबाड़ीवाले को बेचते हैं। इससे जो कमाई होती है उससे उनका चार सदस्यों वाला परिवार का भरण पोषण होता है। राधाकांत बताते हैं, जब वे शहर में आये थे कबाड़ खरीदने वालों की संख्या काफी कम थी लेकिन मौजूदा दौर में इनकी संख्या काफी है। बताते हैं शहर में अब तो बंग्लादेशी युवक भी इस काम को करने लगे हैं। अब पहले जैसी कमाई भी नहीं रह गयी। लेकिन शहर के अधिकतर लोग मुझे जानते हैं इसलिए वे मुझे अपना घर का कबाड़ दे देते हैं जिससे मेरा घर चल जाता है। हालांकि अमूमन अब हर दिन दो-सवा दौ सौ रुपये की कमाई ही होती है। इस कमाई से महंगाई के दौर में घर चलाना मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि होली के बाद कोरोना के कारण देश व्यापी लॉकडाउन के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा। राधाकांत की माने तो कबाड़ नहीं मिलने से उन्हें रिक्शा लेकर झारसुगुड़ा के अलावा बेलपहाड़ व ब्रजराजनगर भी जाना पड़ता है। वर्तमान में जब युवा पीढ़ी बीना मेहनत के पैसा कमाने का सपना देखती है, या फिर अधिक पैसा कमाने के चक्कर में अपराध का रास्ता अपनाने से पीछे नही हटती है। वही रमाकांत 75 साल की उम्र में भी मेहनत कर युवाओं के लिए प्रेरणा बने हुए है।