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न्यायाधीशों को बढ़ाना होगा अपना कौशल

विभिन्न मामलों का विचार करते समय न्यायाधीशों के सामने दिन-ब-दिन नई चुनौती बढ़ती जा रही है। खासकर साइबर क्राइम व आर्थिक अपराध के मामले चुनौती बने हैं। ऐसे में न्यायाधीशों को अपना कौशला बढ़ाना जरूरी हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Sep 2018 04:25 PM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 04:25 PM (IST)
न्यायाधीशों को बढ़ाना होगा अपना कौशल
न्यायाधीशों को बढ़ाना होगा अपना कौशल

जागरण संवाददाता, कटक : विभिन्न मामलों का विचार करते समय न्यायाधीशों के सामने दिन-ब-दिन नई चुनौती आ रही है। खासकर साइबर क्राइम एवं आíथक अपराध जैसे मामले न्यायाधीशों के लिए चुनौती बने हैं। ऐसे में इन मामलों का विचार करने के लिए न्यायधीशों को अपने कौशल को बढ़ाना जरूरी हो गया है। यह बात सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस नवीन सिन्हा ने कही।

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ओडिशा हाईकोर्ट एवं जूडिशियल एकेडमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का शनिवार को उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि जस्टिस सिन्हा ने कहा कि न्यायिक प्रणाली के क्षेत्र में कौशल बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला की अहमियत अधिक है। इसमें केवल न्यायाधीशों या न्यायिक अधिकारियों को ही नहीं बल्कि, सरकारी वकीलों को भी शामिल करना चाहिए। इससे मामलों के संचालन में सरकारी वकील अदालत की मदद कर पाएंगे। इससे न्यायिक प्रक्रिया व राय प्रदान करने में सहजता होगी। कौशल बढ़ाने के लिए अध्ययन, चिंतन एवं जागरूकता जरूरी है। ठीक इसी तरह न्यायिक प्रक्रिया में गवाह एवं पीड़ितों की सुरक्षा के साथ सही समय पर न्याय देना अहम है। मामलों का विचार करते समय गवाहों का बयान आपराधिक पृष्ठिभूमि में वैज्ञानिक शैली से विश्लेषण की भी अहमियत है। इन सब दिशाओं पर अहमियत देकर विचार किया जाना चाहिए। अत्याधुनिक तकनीकी ज्ञान की मदद से कोर्ट डायरी तैयार कर न्यायाधीशों को खुद को तैयार करना चाहिए।

सुप्रीमकोर्ट के न्यायधीश जस्टिस विनीत शरण ने न्यायिक प्रक्रिया में बिना किसी बाधा की सुनवाई पर अहमियत देने का परामर्श दिया। ओडिशा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा जूडिशियल एकेडमी में प्रमुख सलाहकार केएस जावेरी ने कहा कि पहले से अब न्यायालयों की तरफ लोगों का विश्वास बढ़ा है, जो कि भारत की न्यायिक प्रणाली के लिए शुभ संकेत है। न्याय प्रदान के क्षेत्र में सर्वोच्च अदालत से लेकर निचली अदालत तक की अहमियत है। आम लोग निचली अदालत अधिक निर्भर होते हैं, ऐसे में न्यायिक अधिकारियों को न्यायालय की पवित्रता को कायम रखते हुए निर्भीक व समयानुसार न्याय प्रदान करना चाहिए।

ओडिशा जूडिशियल एकेडमी के अध्यक्ष जस्टिस संजय कुमार मिश्र ने स्वागत भाषण दिया जबकि हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस विश्वजीत महांती ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यशाला में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एमआर साहा, गुवाहाटी हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरूप गोस्वामी, ओडिशा हाईकोर्ट के तमाम न्यायाधीश के साथ गुजरात, मुंबई आदि 18 हाईकोर्ट के न्यायाधीश शामिल हुए।


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