एनआरसी, सीएए और एनपीआर के खिलाफ कटक में प्रदर्शन
एनआरसी सीएए तथा एनपीआर के विरोध में मुस्लिम एवं दलित सुरक्षा मंच के राज्य अध्यक्ष शेख मुमताकिन बख्श के नेतृत्व में शहर में प्रदर्शन किया गया।
जासं, कटक : एनआरसी, सीएए तथा एनपीआर के विरोध में मुस्लिम एवं दलित सुरक्षा मंच के राज्य अध्यक्ष शेख मुमताकिन बख्श के नेतृत्व में शहर में प्रदर्शन किया गया। बख्शीबाजार पोस्ट आफिस के सामने से रैली निकाल मंच के कार्यकर्ता उत्कलमणि गोपबंधु दास की प्रतिमूíत में माल्यार्पण करने के बाद मिशन रोड, सूता हाट, ओड़िया बाजार, गंगा मंदिर, गौरीशंकर पार्क, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म स्थान मैदान में पहुंचे। यहां पर जनसभा आयोजित की गई।
सभा में शेख मुमताकिन ने कहा है कि एनआरसी लागू होने से सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि 14 करोड़ हिदू भी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में यह काला कानून है, जिसे वापस लेना होगा। आगामी 20 जनवरी को नेताजी के जन्म स्थान से और एक रैली निकाली जाएगी, जोकि जिलाधीश के जरिए सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति तथा ओडिशा के मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन दिया जाएगा।
बख्श ने कहा कि आज उद्योग बंद हो रहे हैं, लोगों के पास रोजगार नहीं है। उच्च शिक्षा प्रभावित हो रही है। जेएनयू, जामिया मिलिया जैसे उच्चस्तरीय शिक्षानुष्ठान के छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं मगर उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। भारत देश की 133 करोड़ जनता ने वोट देकर अपना प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री चुना, मगर देशवासियों को पहले नागरिकता देने के बदले विदेशी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के लोगों को नागरिकता देना कहां तक जायज है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री पाकिस्तान में बिरियानी खाते हैं और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के एजेंट बनकर विदेशियों को भारत लाकर अपनी सत्ता जमाना चाहते हैं। देशवासियों को कतार में लगाकर उनके दस्तावेज जांच करवाना चाह रहे हैं, जिसे हम लोग कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। देश को हम लोग बंटने नहीं देंगे।
बख्श ने कहा कि प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री देश को रोटी कपड़ा एवं मकान देने के बजाय हिदू, मुस्लिम, पाकिस्तान बांग्लादेश का झगड़ा दे दिया है जो देश को तोड़ने का काम है। यही काम टुकड़े टुकड़े गैंग का है जो देश के प्रधानमंत्री कर रहे हैं। इस अवसर पर मंच के महासचिव सुकांत सेठी, क्षीरेंद्र बेहरा, संदीप रथ, प्रद्युम्न चक्रवर्ती, शेख इकबाल, शेख सिद्दीकी, हाफिज सदरूद्दीन, मौलाना नौशाल आलम, समीउल्ला प्रमुख उपस्थित थे।