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महिला आरक्षण को लेकर चल रहे भ्रम को नवीन ने तोड़ा

बीजद इस बार सात पुरुष और पांच महिलाओं को लोकसभा भेजेगी। यह शायद किसी पार्टी के सांसदों में सबसे बेहतरीन लैंगिक संतुलन है।

By Edited By: Published: Mon, 27 May 2019 09:43 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 09:41 AM (IST)
महिला आरक्षण को लेकर चल रहे भ्रम को नवीन ने तोड़ा
महिला आरक्षण को लेकर चल रहे भ्रम को नवीन ने तोड़ा

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। देश की राजनीति में महिला आरक्षण को लेकर चल रहे भ्रम को बीजू जनता दल (बीजद) प्रमुख नवीन पटनायक ने तोड़ दिया है। आमतौर पर बनने वाली धारणा को कि महिलाएं, पुरुष के सामने कमजोर होती हैं, मगर इस भ्रम को बीजद से 33 फीसद आरक्षण के तहत मिले टिकट के बाद महिलाओं ने चुनाव जीतकर तोड़ दिया है।

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वहीं दूसरी तरफ बीजद के अभेद्य गढ़ को भुवनेश्वर लोकसभा के लिए भाजपा की महिला उम्मीदवार ने ही भेदन किया। सबसे दिलचस्प बात यह है कि भुवनेश्वर संसदीय क्षेत्र की सात विधानसभा सीट में से एक भी सीट पर भाजपा की जीत नहीं मिली है, फिर भी अपराजित षाड़ंगी ने बीजद के पुरुष उम्मीदवार को पटखनी देने में सफल हुई हैं। ऐसे में नवीन पटनायक का राजनीति में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण देने का वादा एवं रणनीति दोनों सफल सिद्ध हुई हैं।

नवीन पटनायक ने जब महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण देने का वादा किया तो लगा शायद वह महिलाओं के वोट लेने के लिए ऐसा कर रहे हैं। पर लोकसभा चुनाव में घोषित बीजद के 21 उम्मीदवारों में 33 फीसद यानी 7 महिला प्रत्याशी घोषित किया तो लोगों मे खासकर आधी आबादी में उम्मीद जगी कि बाकी दल तो वादा करते हैं पर नवीन बाबू वादों पर अमल करते हैं। बीजद की सात में से पांच महिलाएं जीतीं भी यानी 71 फीसद। रिजल्ट आने के बाद दलों ने माना कि महिलाओं को टिकट देना कितना फायदेमंद है। बीजद इस बार सात पुरुष और पांच महिलाओं को लोकसभा भेजेगी। यह शायद किसी पार्टी के सांसदों में सबसे बेहतरीन लैंगिक संतुलन है। नवीन पटनायक की महिलाओं को तरजीह देकर कामयाबी हासिल करना देश में महिलाओं के कमजोर प्रत्याशी होने की धारणा को भी तोड़ने का काम किया है। उल्लेखनीय है कि बीजद की 7 महिला उम्मीदवारों में से 5 सांसद का चुनाव जीती हैं जबकि भाजपा के 3 महिला उम्मीदवार में से 2 चुनाव जीतकर संसद पहुंची हैं। महिलाओं को जीतने के लिए लहर लहर की आवश्यकता नहीं : नम्रता महिलाओं के मामलों में राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता नहीं दिखती। महिला आरक्षण के प्रति देश की पाíटयां कितनी गंभीर हैं, इसका पता तो तभी चलेगा जब भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र एनडीए सरकार महिला आरक्षण विधेयक को पास कराएगी। जब सब दल महिला आरक्षण विधेयक पास कराने पर सहमत हैं तो दिक्कत कहां हैं?

महिलाओं के मतदान का प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है। उन्हें चुनाव जीतने के लिए किसी नेता की लहर की आवश्यकता नहीं है। मुख्यमंत्री पटनायक के गढ़ भुवनेश्वर में अपराजिता षाड़ंगी की जीत और आस्का में प्रमिला बिसोई की जीत इसका जीता जागता उदाहरण हैं। नम्रता चड्ढा, अध्यक्ष महिला अधिकार अभियान, ओडिशा बीजू जनता की महिला सांसद 1 आस्का : प्रमिला बिसोई 2. भद्रक : मंजुलता मंडल 3. जगत¨सहपुर : राजश्री मलिक 4. जाजपुर : सस्मिता सेठी 5. क्योंझर : चंद्राणी मुर्मू भाजपा से महिला सांसद 1. भुवनेश्वर : अपराजिता षड़ंगी 2. बलांगीर : संगीता ¨सहदेव

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