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कोरोना मरीजों के लिए कम कीमत में तैयार किया गया अनोखा वेंटीलेटर, जानें खासियत

भुवनेश्वर में मौजूद सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर यानी सीटीटीसी की ओर से एक अनूठा वेंटिलेटर तैयार किया गया है। कोरोना मरीजों के इलाज में ये काफी कारगर साबित होगा।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2020 03:16 PM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2020 03:16 PM (IST)
कोरोना मरीजों के लिए कम कीमत में तैयार किया गया अनोखा वेंटीलेटर, जानें खासियत
कोरोना मरीजों के लिए कम कीमत में तैयार किया गया अनोखा वेंटीलेटर, जानें खासियत

भुवनेश्वर, जेएनएन। दिन-ब-दिन देश में कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। मरीजों के इलाज के लिए लगातार बेडों की संख्या बढ़ायी जा रही है, गम्भीर मरीजों के इलाज के लिए जितनी मात्रा में वेंटिलेटर की जरूरत है, उसकी व्यवस्था नहीं हो पा रही है। ऐसे में वेंटिलेटर की कमी को खत्म करने के लिए भुवनेश्वर में मौजूद सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर यानी सीटीटीसी की ओर से एक अनूठा वेंटिलेटर तैयार किया गया है। यह अंबुंबैग वेंटिलेटर आकार में बहुत छोटा है और इसे इस तरह से तैयार किया गया है कि यह कोरोना मरीजों की इलाज में काफी कारगर साबित होगा। 

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वेंटिलेटर की खासियत 

एमआईटी से प्रेरणा लेते हुए यह वेंटिलेटर काफी कम कीमत में तैयार किया गया है। इस वेंटिलेटर की खासियत यह है कि उसके तमाम पुर्जे और मशीन को देशी तौर पर निर्माण किया गया है। सीटीटीसी और उदियते टेक्नोलॉजी की संयुक्त टीम ने इसे मात्र 30 हजार रुपये में तैयार किया है और इसके मेंटेनेंस की गारंटी भी दी जा रही है। अब यह टीम मल्टीपल बैग सिस्टम के तहत एकाधिक मरीजों को एक साथ कैसे वेंटिलेटर की सुविधा दिया जा सके उस पर भी कार्य में जुटी हुई है। फिलहाल सीटीटीसी की ओर से तैयार किए जाने वाले वेंटिलेटर की सराहना की गई है।

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क्‍यों पड़ती है वेंटिलेटर की जरूरत 

कोरोना से संक्रमित मरीज की जान बचाने के लिए अंत मे वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है। क्‍योंकि कोरोना संक्रमित मरीज को सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है और 60 साल से अधिक उम्र वालों की स्थिति और अधिक खराब हो जाती है। ऐसे में रोगियों को मैकेनिकल वेंटिलेटर की आवश्‍यकता होती है। ये एक ऐसी मशीन होती है जो रोगी को सांस खींचने में मदद करती है। इसकी मदद से सांस लेने में असमर्थ रोगियों की सांस लेने की नली में एक ट़यूब डाल दी जाती है। जिससे ये लोग ठीक से सांस खींच सके।  

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