विश्व बाजार में पहुंचेगी आदिवासी कला: 4 खदान प्रभावित जिले के 400 गांव के आदिवासी होंगे लाभान्वित
आदिवासियों की आर्ट चित्रकला एवं क्राफ्ट हस्तकला को नया परिचय मिलने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से राज्य के सुंदरगढ़ केन्दुझर मयूरभंज एवं जाजपुर जैसे चार खदान प्रभावित इलाके के करीबन 400 गांव के आदिवासी शिल्पी लाभान्वित होंगे। इसके लिए 1000 शिल्पियों को एक साल तक प्रशिक्षण
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा के खदान प्रभावित क्षेत्र के आदिवासियों की आर्ट, चित्रकला एवं क्राफ्ट हस्तकला को नया परिचय मिलने जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार के अनुसूचित जाति व जनजाति अनुसंधान प्रतिष्ठान की तरफ से एक मेगा प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया गया है। इस प्रोजेक्ट से राज्य के सुंदरगढ़, केन्दुझर, मयूरभंज एवं जाजपुर जैसे चार खदान प्रभावित इलाके के करीबन 400 गांव के आदिवासी शिल्पी लाभान्वित होंगे। इसके लिए लगभग 1000 आदिवासी शिल्पियों को एक साल तक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई है।
विलुप्त हो रही कला होगी पुर्नजीवित
ओएमबीएडीसी प्रोत्साहन में यह प्रोजेक्ट चल रहा है। इस प्रोजेक्ट की मुख्य श्वेता मिश्र ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य ओडिशा के आदिवासियों की विलुप्त हो रही कला को पुर्नजीवित करना है। उन्हें रोजगार मुहैया कराना है। सुन्दरगड़ में बांस, खजूर, लाख कार्य को अग्राधिकार देते हुए क्लस्टर निर्माण किया गया है। उसी तरह से केन्दुझर में गंड चित्र, बच्चों द्वारा विशेष रूप से प्रस्तुत पानिया, टसर कार्य, मयूरभंज सवाई घास, टेराकोटा, पत्थर का कार्य, जाजपुर बांस एवं आदिवासी पेंटिंग आदि को महत्व देते हुए क्लस्टर निर्माण किया गया है।
केवल इतना ही नहीं पारंपरिक आदिवासियों द्वारा तैयार उत्पाद को विश्व दरबार में पहुंचाने के लिए कुशल कारीगर एवं मास्टर क्राफ्टमैन की मदद से इनके कौशल को विकसित किया जा रहा है। आदिवासियों के द्वारा तैयार सामग्री किस प्रकार ट्राइव्स इंडिया जैसी वेबसाइट में स्थान पाएगी, इसके लिए ट्राइब्स के साथ बातचीत चल रही है। जिला के पीछे 4 के हिसाब से कुल 16 क्लस्टर बनाए गए हैं। प्रत्येक के अधीन 20 के हिसाब से गांव के शिल्पी एवं कारीगर को नियोजित किया गया है।
6 बिंदुओं पर होगा फोकस
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अनुसंधान प्रतिष्ठान के निदेशक डा. अखिल बिहारी ओता ने कहा है कि प्रोजेक्ट में मुख्य रूप से 6 प्रकार की बिंदुओं पर फोकस रखा गया है। आदिवासी शिल्पियों द्वारा उत्पादित सामग्री की गुणवत्ता बढ़ाने, उत्पाद की विशेष ब्रांडिंग, ग्रामीण व्यवसायी को अर्बन रिटेलर के पास पहुंचाने, आदिवासी शिल्पी एवं मार्केट के भीतर रहने वाले व्यवधान को पूरा करने हेतु डिजिटल लिंकेज, व्यवसायी नेटवर्क बनाने, पालिसी मेकर्स, ट्रेडर्स एवं कम्युनिटी के बीच समन्वय रक्षा करने जैसे काम किया जा रहा है।