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महावीर के बगैर तीन साल बाद अपने घर लौटी ‘सुंदरी, कोर्ट-कचहरी तक पहुंचा मामला

ओडिशा सतकोशिया टाइगर रिजर्व में दो साल से कैद बाघिन सुंदरी आखिरकार अपने घर मध्य प्रदेश पहुंच गई। इस सफर में उसने अपने साथी को खो दिया। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सुंदरी को वापस करने की गुहार लगाई। सुंदरी के तीन साल के सफर पर खास रिपोर्ट

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 10:45 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 10:45 AM (IST)
महावीर के बगैर तीन साल बाद अपने घर लौटी ‘सुंदरी, कोर्ट-कचहरी तक पहुंचा मामला
29 जून 2018 को सुंदरी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से सतकोशिया लायी गई थी

भुवनेश्वर/मंडला, शेषनाथ/शशांक चौबे। अपने साथी से बिछड़ने का जितना गम इंसानों को होता है, उतना ही गम पशु-पक्षी व जानवरों में भी होता है। कुछ लोग इस जुदाई को समय के चक्र के साथ भूलते हुए जिंदगी की नई शुरुआत कर लेते हैं, मगर वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने साथी के बिछड़ने के गम में खुद को इतना गमगीन कर लेते हैं जैसे अब इस दुनिया में उनके लिए कुछ बचा ही न हो। ऐसी ही दर्दनाक घटना से गुजरी है ‘सुंदरी’। ओडिशा में बाघों की वंश वृद्धि की मंशा से लाई गई मध्य प्रदेश की बाघिन नए घर में खुद को स्थापित करती, उससे पहले ही कान्हा से लाए गए बाघ महावीर की मौत हो गई। साथी से जुदा होने व बेहतर माहौल नहीं मिलने की वजह से सुंदरी हिंसक हो चुकी थी, जिसका खामियाजा अभ्यारण्य के आस-पास रह रहे लोगों को भुगतना पड़ रहा था। 

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 सुंदरी के बर्ताव से बढ़ रहा था खौफ

हिंसक हो चुकी सुंदरी भेड़-बकरियों को तो अपना शिकार बनाती ही थी, लोगों को भी शिकार बनाना शुरू कर दिया और दो व्यक्ति उसका शिकार भी बन गए। सुंदरी के इस बर्ताव का खौफ समय के साथ बढ़ता चला गया। ऐसे में स्थानीय लोगों के कड़े विरोध के बाद सरकार के निर्देश पर उसे कैद करने की कोशिश शुरू हुई। मध्य प्रदेश की टीम भी उसे पकड़ने आई मगर नाकाम रही। वन विभाग, पुलिस प्रशासन की आंख में धूल झोंकते हुए सुंदरी ने अपना शिकार जारी रखा। कड़ी मशक्कत के बाद सुंदरी को बंदी बना लिया गया और उसे सातकोशिया के बाड़े में कैद कर दिया गया। एक तरफ सुंदरी ओडिशा के जंगल में बंदी का जीवन गुजार रही थी। जानकारी लगते ही मध्य प्रदेश की ओर से एक याचिका लगी। बात टाइगर प्रोजेक्ट से होते हुए कोर्ट तक पहुंची। लंबी लड़ाई के बाद सुंदरी को बुधवार को रिहाई मिली। मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व के अफसरों और डॉक्टरों की टीम के साथ बुधवार देर रात को कान्हा पहुंच गई।

 नौ दिसंबर को लिखा था भावुक पत्र

मुख्यमंत्री चौहान ने ही नौ दिसंबर को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को सुंदरी को लेकर भावनात्मक पत्र लिखा था। उसमें लिखा गया था कि जब तक उसकी वापसी के इंतजाम नहीं होते हैं, तब तक विशेष देखभाल की जाए। हम उसे लेकर जाएंगे।

 शावक ने खाली किया बाड़ा

मध्य प्रदेश वापसी पर बाघिन को कान्हा टाइगर रिजर्व के घोरेला स्थित जिस बाड़े में रखा जाएगा, वहां पहले अनाथ शावक रह रहा था। शिकार के गुर सिखाने के बाद उसे जंगल में छोड़ा गया। अब यहां सुंदरी रहेगी।

 नवंबर 2018 से कैद है बाड़े में 

बाघिन सुंदरी सतकोशिया पार्क में नवंबर 2018 से कैदियों जैसा जीवन गुजार रही है। उसका अपराध था कि मवेशियों के लालच में वह जंगल के भीतर बस्तियों के नजदीक पहुंच गई और दो लोगों पर हमला कर बैठी। दो ग्रामीणों की मौत के बाद उसे आदमखोर करार दिया गया। फिर उसे कैद की सजा सुना दी गई।

बाघिन की देखभाल में शुरू से हुई लापरवाही

भोपाल निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता अजय दुबे ने आरोप लगाया था कि एक तो मध्यप्रदेश से बाघों को भेजने में राजनीतिक दबाव का उपयोग किया गया है। साथ ही अनुकूल माहौल नहीं मिला। बाघिन को बांधवगढ़ से ले जाने के बाद उसे इंक्लोजर में रखा गया और खाने के लिए जंगली सूअर का गोश्त दिया गया। यह पचने में कठिन होता है और शरीर को सुस्त कर देता है। परिणाम यह हुआ कि जब बाघिन को इंक्लोजर से निकाला गया तो वह आसान शिकार के लिए गांवों की तरफ जाने लगी और मनुष्य भी उसका शिकार बनने लगे।

 सतकोशिया में बाघिन सुंदरी के लिए उचित माहौल नहीं था। कोर्ट के आदेश पर उसे मप्र लाया जा रहा है। सुंदरी बांधवगढ़ से ले जाई गई थी लेकिन वहां अनुकूल व्यवस्था नहीं है इसलिए कान्हा में रखा जा रहा है।

-एस के सिंह, क्षेत्र संचालक, कान्हा टाइगर रिजर्व


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