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AIIMS Bhubaneswar: एम्स में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर मचा हंगामा, बीजद सांसद ने भी जतायी आपत्ति

AIIMS Bhubaneswar भुवनेश्वर के एम्स अस्पताल में हिंदी भाषा के प्रयोग को लेकर हंगामा मचा हुआ है पहले सब कार्य ओडिआ भाषा में होते थे। इस पर बीजद सांसद ने भी आपत्ति जतायी है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 12:39 PM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 12:39 PM (IST)
AIIMS Bhubaneswar: एम्स में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर मचा हंगामा, बीजद सांसद ने भी जतायी आपत्ति
AIIMS Bhubaneswar: एम्स में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर मचा हंगामा, बीजद सांसद ने भी जतायी आपत्ति

भुवनेश्वर, जेएनएन। AIIMS Bhubaneswar भुवनेश्वर के एम्स अस्पताल में अंग्रेजी के अलावा हिन्दी के प्रयोग को बढावा देने संबंधी एक सर्कुलर को लेकर जबर्दस्त हंगामा मचा हुआ है। एम्स के सारे कामकाज हिन्दी में किए जाने की आशंका को लेकर इसे कुछ लोग हवा दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि एम्स में अब कोई काम ओडिआ भाषा में नहीं होगा। ओडिशा में बनाए जाने के बावजूद ओडिआ भाषा का प्रयोग नहीं होगा। इस तरह की बातें कही जा रही है। इस सर्कुलर को लेकर बीजद सांसद पिनाकी मिश्र ने घोर आपत्ति जताते हुए केन्द्र स्वास्थ्य मंत्रालय में इसे लेकर आवाज उठाने की बात कही है।

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सूत्रों से पता चला है कि केन्द्र सरकार के प्रतिष्ठान होने के कारण सरकारी कामकाज में प्रयुक्त होने वाले कागजात में अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी के प्रयोग का प्रावधान है। यह प्रावधान समस्त केन्द्र सरकार के प्रतिष्ठानों के लिए है और यह संसदीय व्यवस्था के अनुरुप भी है। प्रशासनिक कार्य में नोटसीट पर कम से कम 30 प्रतिशत हिन्दी में नोटिंग करने और 55 प्रतिशत पत्राचार हिन्दी में किए जाने की व्यवस्था है। मगर इसे लेकर जारी किए गये सर्कुलर को मुद्दा बनाकर लोगों को बरगलाना उचित नहीं है। अब सावल उठता है कि क्या इससे पहले एम्स के डॉक्टर ओडिआ में काम करते थे। क्या मरीजों के प्रेसक्रिप्शन ओडिआ भाषा में लिखा जा रहा था जो अब हिन्दी में लिखा जाएगा।

केन्द्र सरकार के नियमानुसार सभी नाम पट्ट सूचना पट्ट और प्रमुख रजिस्टर त्रिभाषी होने चाहिए जिसमें सबसे पहले प्रादेशिक भाषा, दूसरे नंबर पर हिन्दी भाषा एवं अंत में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग होता है। अतः इसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। खासकर जब सांसद इस तरह की बातें करते हैं तो सवाल उठता है कि क्या सांसद महोदय को राजभाषा हिन्दी के केन्द्र सरकार के कार्यालयों में प्रयोग को लेकर जानकारी नहीं है। क्या राष्ट्रपति के आदेश- अनुदेशों से वे अनभिज्ञ हैं या फिर वे इसे मात्र एक भावनात्मक मुद्दा बनाकर अपनी राजनीति करना चाहते हैं। जब जारी किया गया सर्कुलर एम्स में कार्यरत प्रशासनिक, अकादमिक,वित्त और एकाउंट क लिए है तो फिर इसे लेकर हल्ला क्यों मचाया जा रहा है। क्या इससे रोगियों की सेवा में किसी तरह का प्रभाव पडेगा या डॉक्टरों को हिन्दी में इलाज करने को कहा जाएगा।


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