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महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के अनूठे नागार्जुन वेश के लिए रीति-नीति निर्धारित

महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी (Shri Jagannath ) का 27 नवंबर को दुर्लभ नागार्जुन वेश होगा इसके लिए रीति नीति का निर्धारण कर लिया गया है। भगवान का वेश सुबह 400 बजे से शुरु होकर शाम 700 बजे तक होगा।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 10:38 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 10:38 AM (IST)
महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के अनूठे नागार्जुन वेश के लिए रीति-नीति निर्धारित
महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी का दुर्लभ नागार्जुन वेश 27 नवम्बर को होगा।

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। 27 नवम्बर को महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी का दुर्लभ नागार्जुन वेश होगा। इसके लिए छत्तीसानिजोग की बैठक में विशेष, नीति नियम तैयार किए गए हैं। भोर 4 बजे से वेश शुरु होगा और सुबह 7 बजे तक वेश संपन्‍न होगा। वेश के समय गोपाल वल्लभ, सकाल धूप, बाल धूप, भोग मंडप होने के बाद दोपहर 2 बजे मइलम होगा। इसके बाद अन्य नीति सम्पन्न कर मध्याह्न धूप, संध्या धूप, बड़ सिंहार वेश, बड़सिंहार भोग सम्पन्न किया जाएगा।

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इस साल कोविड-19 प्रतिबंध होने से भक्तों के लिए दर्शन को बंद रखने का निर्णय लिया गया है। नागार्जुन वेश के समय भक्त के लिए दर्शन बंद रहेगा। वहीं कार्तिक महीने में महाप्रसाद भक्तों के पास पहुंचे, उसके लिए विशेष व्यवस्था करने को बैठक में चर्चा की गई। श्रीमंदिर के दक्षिण एवं उत्तर द्वार में भक्तों के लिए महाप्रसाद उपलब्ध करने के लिए विशेष व्यवस्था करने हेतु बैठक में निर्णय लिया गया है।

कार्तिक माह के लिए श्रीमंदिर की रीति नीति

कार्तिक माह के लिए महाप्रभु श्रीमंदिर जगन्नाथ में होने वाली विभिन्न नीतियों के लिए श्रीमंदिर प्रशासन की तरफ से नीतियों का निर्धारण हो चुका है। नीति सब कमेटी के द्वारा प्रस्तुत की गई सूची में कार्तिक महीने की पूरी नीति को शामिल किया गया है। नीति के अनुसार भोर में 4 बजे श्रीमंदिर का द्वार खोल बाद में मंगल आरती, मइलम, तड़पलागी, भोग मंडप, दोपहर की धूप इसके बाद दूसरा भोग मंडप एवं शाम की आरती, शाम की धूप, बड़ सिंहार वेश आदि सम्पन्न किया जाएगा।

इसके साथ 25 नवम्बर को लक्ष्मीनारायण वेश, 26 नवम्बर को बांगचुड़ा वेश, 27 नवम्बर को नागार्जुन वेश, 28 नवम्बर को त्रिविक्रम वेश, 29 नवम्बबर को लक्ष्मीकान्त वेश, 30 नवम्बर को महाप्रभु का राजाधिराज वेश होगा। 27 अक्टूबर से 30 नवम्बर तक श्रीमंदिर की रीति-नीति निर्धारित किए जाने की बात पता चली है।


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