प्रेम विवाह की इतनी बड़ी सजा कि मरने के बाद भी नहीं मिला अपनों का कंधा
चिंडा अनुमंडल के बोक्समा गांव के सहदेव बाग को प्रेम विवाह की इतनी बड़ी सजा मिली की मरने के बाद उन्हें अपनों का कंधा तक नसीब नही हुआ।
बामड़ा, जेएनएन। कुचिंडा अनुमंडल के बोक्समा गांव में कैंसर से पीड़ित मरीज को मौत के बाद भी अपनों का कंधा नहीं मिला। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसने एक दलित महिला से प्रेम विवाह किया था। प्रशासन की पहल पर पुलिस व समाजसेवियों ने मिलकर उसका अंतिम संस्कार किया।
संबलपुर जिला कुचिंडा अनुमंडल के बोक्समा गांव के सहदेव बाग (32) ने एक दलित महिला से शादी की थी। इस शादी के बाद परिजन व ग्रामीणों ने उससे संबंध तोड़ लिया था। इसी बीच उन्हें एक पुत्र हुआ, जो एक साल का
है। सहदेव बाग कैंसर से पीड़ित था। इसी बीमारी के चक्कर में गत मंगलवार की दोपहर उसकी मौत हो गई। लेकिन दलित महिला से शादी करने के कारण परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। ऐसे में कोई भी ग्रामीण भी आगे नहीं आया। कुछ लोगों ने मृतक का अंतिम संस्कार करने को लेकर सरपंच व बीडीओ से बातचीत भी की लेकिन इसके बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ।
इसके बाद किसी ने कुचिंडा एसडीएम विश्वरंजन नायक को घटना की विस्तृत जानकारी दी। जिसके बाद उन्होंने तत्काल पहल किया। जिसके बाद कुचिंडा पुलिस, अग्निशमन विभाग तथा अंचल के कुछ समाजसेवियों की मदद से मृत सहदेव बाग का अंतिम संस्कार किया गया। इस समय भी बाग के परिजन व गांव वाले नहीं पहुंचे।