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अयोध्या फैसले पर पुरी के शंकराचार्य ने जताया एतराज, कही ये बड़ी बात

अयोध्या में श्रीराम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुरी के शंकराचार्य ने एतराज जताते हुए कहा है कि यह राय देशहित के लिए खतरनाक सिद्ध होगी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 11:32 AM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 11:32 AM (IST)
अयोध्या फैसले पर पुरी के शंकराचार्य ने जताया एतराज, कही ये बड़ी बात
अयोध्या फैसले पर पुरी के शंकराचार्य ने जताया एतराज, कही ये बड़ी बात

भुवनेश्वर, जेएनएन। अयोध्या में श्रीराम मंदिर विवाद को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि यह राय देशहित के लिए खतरनाक सिद्ध होगी और इससे आगामी दिनों में अशांति उत्पन्न होगी। अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए सुप्रीमकोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दिया है वह दुर्भाग्यजनक है एवं यह भविष्य में आतंकवादियों के मुख्य ठिकाने के रूप में तब्दील हो जाएगी।

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स्थानीय रेलवे ऑडिटोरियम में मीडिया से मुखातिब हुए जगतगुरु शंकराचार्य सरस्वती ने कहा कि हिंदू एवं मुसलमान शांति में रहे इसीलिए भारत एवं पाकिस्तान अलग हुए थे। हालांकि अब दोनों ही देशों में शांति नहीं है। पाकिस्तान आतंकवादियों का केंद्र बिंदू बन गया है यह बात खुद वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार की है। इसके बावजूद हम अपनी जमीन आतंकवादियों को दे रहे हैं। उक्त 5 एकड़ जमीन में यदि मस्जिद बनाई जाती है तो फिर अयोध्या और एक मक्का में तब्दील हो जाएगा।

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आतंकवादियों का प्रवेश द्वार बन जाएगा और उप्र पाक में तब्दील हो जाएगा। शंकराचार्य ने सवाल किया कि एक ही जगह पर यदि मंदिर और मस्जिद बनाई जानी थी तो फिर पहले क्यों नहीं बनाई गई। कहा कि नरसिम्हा राव एवं वाजपेयी सरकार के समय में समान निर्णय लिया गया था। इस पर हम राजी नहीं हुए थे ऐसे में इस निर्णय को रद करना पड़ा था। कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले चारों धाम के शंकराचार्य से सलाह नहीं ली। राजनेता अपने हित साधन के लिए धर्मगुरु बना रहे हैं एवं उनके मतों के आधार पर अपने हित साधते हैं। ऐसे में संसद में विशेष अधिवेशन बुलाकर सुप्रीमकोर्ट के फैसले को खारिज करने के लिए स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने मांग की है। 

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