पगड़ी ने कराई राष्ट्रपति की उनके पुराने मित्र से पहचान
13 साल हो गया कोई किसी से नहीं मिला था। आपस में बातचीत भी नहीं हो रही
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर
13 साल हो गया कोई किसी से नहीं मिला था। आपस में बातचीत भी नहीं हो रही थी। कभी जो मुलाकात होगी, इसी उम्मीद एवं भरोसे दिन गुजरता जा रहा था। लेकिन रविवार को राष्ट्रपति के ओडिशा दौरे में भीड़ के बीच नजर आने वाली सफेद की पगड़ी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से उनके पुराने मित्र की पहचान करा दी। इसके बाद जो कुछ हुआ उसे देखकर हर कोई आश्चर्य में डूब गया। हर किसी की जुबान पर एक ही बात, 'दोस्ती हो तो ऐसी।'
उत्कल विश्वविद्यालय के प्लैटिनम जुबली उत्सव के समापन समारोह में यह भावुक दृश्य देखने को मिला। इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मंच पर विराजमान थे। मंच के नीचे उनके पुराने दोस्त पूर्व राज्यसभा सदस्य वीरभद्र सिंह बैठे हुए थे। अचानक राष्ट्रपति की नजर मंच के सामने बैठे पांच हजार लोगों के बीच अपने मित्र वीरभद्र सिंह की पगड़ी पर गई तो उन्हें पहचानने में जरा भी देर नहीं लगी। कार्यक्रम समाप्त होते ही राष्ट्रपति ने अपने सुरक्षा कर्मचारी से कुछ जानने का प्रयास किया। इसके बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान से वीरभद्र बाबू को मंच तक बुलाने को कहा। प्रधान के कहने पर सुरक्षाकर्मी पूर्व सासद को राष्ट्रपति के पास ले आए। जहां दोनों मित्रों ने एक दूसरे को गले लगा लिया। इस दौरान उनके बीच करीब पांच मिनट तक चर्चा हुई।
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद पूर्व सासद वीरभद्र सिंह ने कहा कि 2006 में अंतिम बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात हुई थी। हालाकि राष्ट्रपति बनने के बाद या पहली बार हमारी मुलाकात है। राष्ट्रपति के यहा आने की सूचना मिलने के बाद हम उनसे मुलाकात करने बाणी विहार आए थे। समारोह के आवाहक विजय पटनायक से अनुरोध किया, पर प्रोटोकल की वजह से मुलाकात संभव नहीं थी। विधाता का खेल देखिए इतने लोगों के बीच मेरी पगड़ी को देखकर उन्होंने मुझे पहचान लिया। राष्ट्रपति ने भी कहा कि पगड़ी देख कर मैंने आपको पहचाना। उन्होंने कहा दिल्ली क्यों नहीं आते हैं। मेरे राष्ट्रपति बनने से आपको खुशी नहीं हुई है क्या। इसके बाद राष्ट्रपति ने अपने मित्र पूर्व राज्यसभा सदस्य वीरभद्र सिंह के साथ फोटो भी खिंचवाई।
अंडमान निकोबार में ओडिशा के आदिवासियों को मान्यता नहीं
राष्ट्रपति के निमंत्रण मिलने के बाद खुशी का इजहार करते हुए वीरभद्र ने कहा कि एक बड़ी समस्या पर चर्चा करने के लिए मैं उनके पास दिल्ली जाऊंगा। ओडिशा के बहुत से आदिवासी लोग अंडमान निकोबार एवं असम जैसे राज्य में रहते हैं मगर उन्हें आदिवासी की मान्यता नहीं मिली है। केवल ओडिशा ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल के भी जो अनुसूचित जाति के लोग अंडमान निकोबार में रहते हैं उन्हें भी अनुसूचित जाति के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा रहा है। हम दोनों लोग 2000 से 2006 तक राज्यसभा के सदस्य रहते समय इस तरह की समस्या का सामना कर चुके हैं। इसी विषय पर मैं उनसे चर्चा करूंगा।
वर्ष 2000 में बीजद के टिकट पर राज्यसभा गए थे वीरभद्र सिंह
राज्यसभा के पूर्व सदस्य वीरभद्र सिंह ने 1965 से 1967 तक उत्कल विश्वविद्यालय में पढ़ाई की थी। 2000 से 2006 तक वह बीजद के टिकट पर राज्यसभा गए थे। इसी समय उनकी रामनाथ कोविंद के साथ दोस्ती हुई थी। दोनों ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण संसदीय कमेटी के सदस्य थे। 2006 के बाद वीरभद्र सिंह राज्यसभा नहीं जा पाए थे और तभी से उनकी ना ही कोई मुलाकात हुई और ना ही उनके बीच चर्चा हो रही थी।