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Odisha: राजकीय सम्मान के साथ हुआ पद्म विभूषण रघुनाथ महापात्र का अंतिम संस्कार

Odisha पद्म विभूषण रघुनाथ महापात्र का अंतिम संस्कार सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ किया गया। 78 साल की उम्र में महापात्र का रविवार को निधन हो गया था। कोरोना संक्रमित होने के बाद 22 अप्रैल को उन्हें भुवनेश्वर एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 08:59 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 08:59 PM (IST)
Odisha: राजकीय सम्मान के साथ हुआ पद्म विभूषण रघुनाथ महापात्र का अंतिम संस्कार
राजकीय सम्मान के साथ हुआ पद्म विभूषण रघुनाथ महापात्र का अंतिम संस्कार। फाइल फोटो

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। Odisha: राज्यसभा सदस्य पद्म विभूषण रघुनाथ महापात्र का अंतिम संस्कार सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ किया गया। 78 साल की उम्र में महापात्र का रविवार को निधन हो गया था। कोरोना संक्रमित होने के बाद 22 अप्रैल को उन्हें भुवनेश्वर एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महापात्र एक विश्वस्तरीय शिल्पकार भी थे। पत्थरों को तराश कर मूर्तियां गढ़ने में उनका सानी नहीं था। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान समेत अन्य कई वरिष्ठ नेताओं ने शोक प्रकट किया। पुरी जिले के सदर ब्लाक खपुरिया गांव में 24 मार्च 1943 को रघुनाथ महापात्र का जन्म हुआ था।

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रघुनाथ महापात्र ने युवा काल में ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया था। मूर्ति कला में माहिर महापात्र को 1975 में पद्मश्री, 2001 में पद्म भूषण तथा 2013 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 2016 में ओडिशा सरकार ने उन्हें ललित कला एकेडमी का अध्यक्ष बनाया था। इसके बाद राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका निर्वाचन हुआ था। रघुनाथ महापात्र ने भुवनेश्वर स्थित मास्टर कैंटीन चौक पर एक 18 फुट लंबा तथा 15 फुट ऊंचा कोणार्क घोड़े का निर्माण किया था। इसके अलावा गंजाम में नया तारा तारिणी मंदिर, संसद में पांच फुट ऊंची सूर्य देव की मूर्ति, राजीव गांधी की समाधि पीठ, नई दिल्ली के अशोका होटल में 14 फुट ऊंचाई का कोणार्क चक्र, धौली 2 में दो बौद्ध मूर्ति, लद्धाख में 20 फुट ऊंचाई की तीन बौद्ध मूर्ति, फ्रांस में लकड़ी की विशाल बौद्ध मूर्ति, जापान में 15 फुट ऊंचाई का अशोक स्तंभ जैसी कलाकृतियों का सृजन किया।

रघुनाथ महापात्र ने पारंपरिक शिल्पकला को सहेजने में अहम भूमिका निभाई थी। पत्थरों में जान उकेर देने की अद्भुत कला में वह माहिर थे। भुवनेश्वर शहर के चौक-चौराहों और विभिन्न स्थलों पर उनकी बनाई हुई मूर्तियां हैं। पुरी जिले के सदर ब्लाक खपुरिया गांव में 24 मार्च 1943 को रघुनाथ महापात्र का जन्म हुआ था। उन्हें अलग-अलग समय में पद्मश्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण समेत कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले थे। अपनी विशिष्ट कला के लिए वह देश दुनिया में विख्यात थे। 1975 में केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया था। इसके बाद वर्ष 2001 में उन्हें पद्म भूषण तथा 2013 में पद्म विभूषण सम्मान दिया गया था। 2016 में ओडिशा सरकार ने उन्हें ललित कला अकादमी का अध्यक्ष बनाया था। बाद में 2018 में वह राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत हुए थे।


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