कोरोना काल में ओडिशा विधानसभा का हंगामेदार आगाज: सरकार ने पेश किये 7 बिल
Odisha Assembly session ओडिशा विधानसभा में हंगामे के बीच सरकार ने सदन में सात बिल पेश किये। सदन की कार्यवाही के प्रारंभ में पूर्व राष्ट्रपति स्व. प्रणव मुखर्जी के साथ दिवंगत नेता एवं कोरोना योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी गयी।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण के बीच विरोध के साथ मंगलवार से ओडिशा विधानसभा अधिवेशन का आगाज हुआ। पहले ही दिन सरकार की तरफ से सदन में सात बिल पेश किये गये, जिसमें से विश्व विद्यालय कानून संशोधन बिल को लेकर भाजपा एवं कांग्रेस के विधायकों ने कड़ा विरोध किया। यहां तक कि कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद वाहिनीपति ने बिल को फाड़ देने के साथ इसे काला बिल बताया। सदन में पेश किए गए अन्य बिल में संक्रामक रोग (ओडिशा संशोधन) बिल, न्यायालय-फीस (ओडिशा संशोधन) बिल, ओडिशा अधिवक्ता कल्याण कोष (संशोधन) बिल, शिल्प विवाद (ओडिशा संशोधन) बिल, ओडिशा पौर विधि (संशोधन बिल एवं ओडिशा द्रव्य एवं सेवाकर (संशोधन) बिल शामिल हैं। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने सदन की कार्यवाही को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया है।
इससे पहले अधिवेशन के प्रारंभ में दिवगंत पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, दिवंगत विष्णु दास, मदन मोहन दत्त के निधन पर उनकी आत्मा की शांति के लिए शोक प्रस्ताव लाया गया। इसके साथ ही सैनिक एवं कोविड योद्धाओं को अधिवेशन में श्रद्धांजलि दी गई है। नवीन निवास से वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सदन की कार्यवाही में भाग लिया। उसी तरह से लोकसेवा भवन से छह वरिष्ठ विधायक सदन की कार्यवाही में भाग लिए। हालांकि कोरोना से संक्रमित विधायकों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति नहीं थी। विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि के बाद गृह कार्य को अपराह्न 3 बजे तक मुलतवी घोषित कर दिया गया।
अपराह्न तीन बजे के बाद सदन की कार्यवाही जब शुरु हुई तो सरकार की तरफ से 7 बिल सदन में पेश किये गये। उच्च शिक्षा मंत्री अरूण साहू ने जैसे विश्व विद्यालय संशोधन बिल 2020 सदन में पेश किया, विरोधी दल के विधायकों ने इसका जोरदार विरोध किया। कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्र ने कहा कि आज कोरोना महामारी से लोग परेशान हैं ऐसे समय में विश्व विद्यालय संशोधन बिल का क्या काम है। कोरोना के साथ इसका क्या संपर्क है। आखिर इस बिल पर सरकार इतनी जल्दबाजी क्यों कर रही है। काग्रेस के विधायक मिश्र ने इस बिल के पीछे सरकार के गलत उद्देश्य होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार विश्व विद्यालय को नियंत्रण में रखने की योजना बना रही है। बिल आ जाने के बाद विश्व विद्यालय में सरकार की बिना अनुमति के पत्ता तक नहीं हिलेगा। सिंडिकेट व्यवस्था में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी रहेंगे। कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद वाहिनीपति ने इस बिल को सिलेक्शन कमेटी में भेजने की मांग की है।
कांग्रेस के साथ भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने भी विश्व विद्यालय संशोधन बिल का विरोध किया है। विरोधी दल नेता प्रदीप्त नायक ने कहा है कि इसके जरिए सरकार विश्व विद्यालय की स्वतंत्रता नष्ट हो करना चाह रही है। विश्व विद्यालय को सरकार अपने अधिन में लाना चाहती है। उसी तरह से विश्व विद्यालय नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने बिल का विरोध किया। इसके अलावा कोरोना विरोधी दल नेता नायक ने कोरोना काल में मास्क खरीद में धांधली का आरोप लाया। इसमें अनियमितता होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने इसकी जांच की मांग उठायी है।
उच्च शिक्षा मंत्री अरुण साहू ने कहा है कि इस बिल से विश्व विद्यालय आटोनमी के एक भी विंदू को क्षति नहीं पहुंचेगी। राज्य के सभी विश्व विद्यालय यूनिवर्सिटी एक्ट के अनुसार ही संचालित होंगे। विश्व विद्यालय बिले में केन्द्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी।