सांसद आदर्श ग्राम योजना में ओडिशा फिसड्डी: मात्र 46 ग्राम पंचायत के लिए ही तैयार हुई योजना
sansad aadarsh Gram Yojna ग्राम पंचायत योजना के मामले में ओडिशा पिछड़ गया है। 61 ग्राम पंचायतों में से मात्र 46 के लिए ही विकास योजना तैयार हो पाई है। केन्द्र ग्रामीण मंत्रालय के अनुसार झारखंड की तुलना में ओडिशा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। सांसद आदर्श ग्राम योजना में ओडिशा फिसड्डी साबित हुआ है। इस योजना के तहत प्रदेश में पहचान किए गए 61 पंचायत में से मात्र 46 ग्राम पंचायत के लिए ही विकास की योजना तैयार की गई है। झारखंड की तुलना में भी ओडिशा का प्रदर्शन निराशाजनक है। यह जानकारी केन्द्र ग्रामीण मंत्रालय की तरफ से हाल ही में किए गए अनुध्यान से पता चली है। देश के आजादी के बाद से 75 साल अर्थात 2022 तक सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसओजी वाई) के तहत गांवों को विकसित करने के लिए केन्द्र सरकार ने लक्ष्य रखा है। हालांकि इस योजना को उस तरह से सफलता नहीं मिली है और देश के अन्य राज्यों की तुलना में ओडिशा का प्रदर्शन फिसड्डी साबित होने की बात पता चली है।
मोदी सरकार की पहली पारी के समय अर्थात 11 अक्टूबर 2014 को इस योजना का शुरु किया गया था। उस दिन जय प्रकाश नारायण का जन्म वार्षिकी थी। इस योजना के अनुसार सांसदों के द्वारा पहचान होने वाले गांवों के आधारभूमि विकास करने के लिए लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सांसदों को तीन गांव की पहचान किए थे और 2019 से 2024 के बीच प्रत्येक सांसद को 5 गांव के पहचान करने की व्यवस्था की गई है।
लोकसभा एवं राज्यसभा सांसद दोनों गांवों की पहचान कर उन गावों के विकास के लिए योजना बनाने की बात कही गई है। ओडिशा में 21 लोकसभा सांसद एवं 10 राज्यसभा सांसद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक 27 अक्टूबर तक ओडिशा के सांसद मात्र 61 ग्राम पंचयात को सांसद आदर्श गांव के लिए पहचान किए हैं। इसमें से 46 ग्राम पंचायत में ग्राम विकास योजना बनाई गई है। इन गांवों के लिए कुल 1464 प्रोजेक्ट के लिए योजना बनाई गई है। हालांकि इसमें से मात्र 617 प्रोजेक्ट का कार्य अभी तक पूरा हुआ है एवं 185 प्रोजेक्ट कार्य जारी रहने की बात मंत्रालय से मिले तथ्य से पता चला है।
मंत्रालय के इस तथ्य से कहीं न कहीं यह स्पष्ट हो रहा है कि सांसद आदर्श ग्राम योजना कार्यान्वयन की दिशा में प्रशासन को जिस प्रकार महत्व देना चाहिए, वह नहीं दे रहा है। उसी तरह से सांसदों ने जिन गावों का पहचान किया है उन गांवों का विकास कितना हुआ है, कहां काम रूका हुआ है। इन सभी पर निगरानी ठीक से हो रही है या नहीं, उस पर सवाल उठाया गया है।
इस प्रसंग को इस लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, झारखंड, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्य का प्रदर्शन ओडिशा की तूलना में बेहतर एवं संतोषजनक है। ये सभी राज्य, ग्रामीण विकास योजना बनाने एवं उस काम करने में ओडिशा से काफी आगे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश सर्वाधिक 345 ग्राम पंचायत की पहचान करने के साथ ही 328 ग्राम पंचायत को आदर्श ग्राम बनाने के लिए ग्रामीण विकास योजना प्रस्तुत करने में सफल हुआ है। उसी तरह से ग्रामीण विकास योजना के लिए कर्नाटक में सर्वाधिक 10321 प्रोजेक्ट के लिए योजना तैयार की गई है और 7826 प्रोजेक्ट को पूरा करने की बात मंत्रालय के तथ्य से पता चली है। उसी तरह से पूरे देश में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत वर्तमान समय तक 1943 ग्राम पंचायत की पहचान की गई है एवं इन ग्राम पंचायतों के विकास के लिए 75079 प्रोजेक्ट बनाए गए है, जिसमें 47,133 प्रोजेक्ट का कार्य पूरा हुआ है।
यहां उल्लेखनीय है कि सांसद आदर्श ग्राम योजना में पहचान किए गए गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कौशल विकास, आर्थिक विकास, पर्यावरण विकास, स्वच्छता आदि पर विशेष ध्यान दिया गया है। इन सभी क्षेत्र में पूरे देश से जो तथ्य सामने आए हैं, उससे पता चला है कि योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है। सांसद आदर्श ग्राम योजना के लक्ष्य को पूरा करने के लिए केन्द्र ग्रामीण विकास मंत्रालय की तरफ से नियमित समीक्षा बैठक की जा रही है।