अब दुर्घटना का शिकार नहीं होंगे हाथी, रास्ता पार करते समय बजेंगे सायरन जलेगी लाल बत्ती
अब बिना किसी दुविधा के ही हाथियों का झुंड राष्ट्रीय राजमार्ग को पार सकेगा। राजमार्ग पर नया पायलट प्रोजक्ट के तहत आटोमेटिक सायरन मशीन लगायी गयी है। यह व्यवस्था कितनी सफल होती है वह आगामी दिनों में पता चलेगा।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। गाड़ी धक्के से और हाथियों का जीवन नहीं जाएगा। बिना दुविधा के राष्ट्रीय राजमार्ग को हाथियों का झुंड पार कर सकेगा। हाथियों की सुरक्षा के लिए 55 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग पर नया पायलट प्रोजक्ट के तहत आटोमेटिक सायरन मशीन लगायी गयी है। हाथी रास्ता पार करते समय सायरन बजने लगेगा और लाल बत्ती जलने लगेगी।
अधिकारियों के मोबाइल फोन पर एसएमएस जाएगा। राज्य में परीक्षण के तौर पर यह व्यवस्था शुरू की गई है। यह व्यवस्था कितनी सफल होती है, वह आगामी दिनों में पता चलेगा। प्रारंभिक चरण में हले ढेंकानाल जिले के सदर रेंज मेरामुंडली सेक्शन के हाती प्रवण स्थान रसासिंह एवं हल्दियावाहाल के पास यह सायरन लगाया गया है।
कैसे काम करेगी आटोमेटिक सायरन मशीन
- इसमें सेंसर, सायरन, रेड लाइट तथा चार्जिंग के लिए सोलार प्लेट लगायी गयी है।
- हाथियों का झुंड जैसे ही इस रास्ते को पार करेगा स्वयंचालित इस यंत्र की लाल बत्ती जल जाएगी।
- लगातार सायरन बजने लगेगा, जो कि किमी. दूरी तक सुना जाएगा।
- अधिकारियों के मोबाइल में मेसेज जाएगा।
- ऐसे में समय से राष्ट्रीय राजमार्ग से जाने वाले वाहन चालक निश्चित दूरी पर रुक जाएंगे।
- आस-पास इलाके के लोग भी सतर्क हो जाएंगे।
वरिष्ठ पर्यावरणविद शिशिर शतपथी ने कहा है कि इससे केवल हाथियों का झुंड ही सुरक्षित नहीं रहेगा बल्कि सामान्य लोग भी सुरक्षित स्थान पर चले जाएंगे। यह प्रोजेक्ट से हाथी मानव विवाद में भी कमी आएगी और हाथियों की मृत्यु में भी। राज्य में पहली बार यह प्रोजेक्ट लागू किया गया है।
परीक्षण के तौर पर इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया है, इसमें सफलता मिलती है तो फिर इसे और अधिक जगहों पर लगाए जाने की जानकारी डीएफओ ने दी है। परिवर्तन नामक एक एनजीओ संस्था एवं वन विभाग के संयुक्त प्रयास से यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। यहां उल्लेखनीय है कि इससे पहले अन्य राज्यों में सायरन मशीन से सफलता मिल चुकी है। ओडिशा में इससे कितनी मदद मिलती है यह तो आगामी दिनों में ही पता चलेगा।
प्रदेश में हर साल हाथी मानव की लड़ाई में हो रहे धन जीवन के नुकसान को देखते हुए शुरू किए गए इस प्रयास पर पर्यावरणविदों ने खुशी जाहिर किया है।