Shri Jagannath Temple Puri: 25 साल बाद होगा महाप्रभु का नागार्जुन वेश, भक्तों को दर्शन की अनुमति नहीं
Shri Jagannath Temple Puri 25 साल बाद 27 नवंबर को महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी का नागार्जुन वेश होगा लेकिन पतितपावन का नागार्जुन वेश नहीं किया जाएगा। भक्तों को दर्शन की इजाजत नहीं होगी। इसे लेकर प्रशासन पुरी शहर को सील करने का विचार कर रही है।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी का नागार्जुन वेश आगामी 27 नवम्बर को है। 25 साल बाद महाप्रभु का दुर्लभ नागार्जुन वेश पड़ा है, मगर कोरोना महामारी के कारण महाप्रभु के इस विरल वेश से भी भक्तों को वचिंत होना पड़ेगा। हालांकि पहले पतित पावन का नागार्जुन वेश करने की बात सामने आयी थी जिससे भक्तों में उम्मीद थी कि महाप्रभु का ना सही बाहर से ही पतितपावन के नागार्जुन वेश का दर्शन करने को मिल जाएगा। अब श्रीमंदिर प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है पतितपावन का नागार्जुन वेश नहीं किया जाएगा। कोरोना प्रतिबंध के बीच महाप्रभु का नागार्जुन वेश सम्पन्न किया जाएगा, मगर भक्तों को दर्शन की अनुमति नहीं होगी। प्रशासन द्वारा एक दिन पहले से ही पुरी शहर को सील करने पर विचार किया जा रहा है। ताकि बाहर से कोई भक्त पुरी में प्रवेश न कर पाएं।
पतितपावन का नागार्जुन वेश नहीं होगा
जानकारी के मुताबिक महाप्रभु के नागार्जुन वेश को लेकर हुई बैठक के बाद श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक ने स्पष्ट कर दिया है कि पतितपावन का नागार्जुन वेश नहीं होगा। उन्होंने कहा है कि श्रीमंदिर की पांजी एवं परंपरा में भी इस संदर्भ में कोई विधि व्यवस्था नहीं है। 1993 एवं 1994 में जो नागार्जुन वेश हुआ था, उस समय भी पतितपावन का नागार्जुन वेश नहीं किया गया था। ऐसे में पूर्व परंपरा की रक्षा की जाएगी। पतितपावन का नागार्जुन वेश नहीं होने की बात मुख्य प्रशासक ने स्पष्ट की है।
वीर वेश में महाप्रभु
गौरतलब है कि 25 साल बाद महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी दुर्लभ नागार्जुन वेश में दर्शन देंगे। 27 नवम्बर शुक्रवार को वीर वेश में महाप्रभु को सजाया जाएगा। इसके लिए दशहरा से हरचंडीसाही चक्रकोट में वेश की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है। हालांकि दुर्भाग्यवश कोरोना संक्रमण के कारण महाप्रभु के इस दुर्लभ वेश के दर्शन से भक्तों को वंचित होना पड़ेगा।
प्रभु के अन्य वेश से विरल है नागार्जुन वेश
नागार्जुन वेश प्रभु के अन्य वेश विरल एवं आकर्षणीय होता है। नागार्जुन वेश का दर्शन करने के लिए देश भर से हजारों की संख्या में साधु संत पुरी पहुंचते हैं। इनमें हजारों की संख्या में नागा साधु भी होते हैं। मिली जानकारी के अनुसार इससे पहले 1966, 1983, 1993 एवं 1994 में यह वेश हुआ था। नागार्जुन वेश को महाप्रभु का परशुराम वेश भी कहा जाता है।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण लिए गए इस निर्णय के कारण भक्तों में निराशा का माहौल है, नागार्जुन वेश देखने के लिए 60 लाख से अधिक भक्तों के समागम होने की सम्भावना थी। लेकिन लाखों भक्तों को इस दुर्लभ वेश के दर्शन से वंचित रहना पड़ेगा। इससे पहले महाप्रभु का नागार्जुन वेश 1994 में हुआ था, उस समय भीड़ अधिक होने के कारण भगदड़ मच गई थी जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।