भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर इस बार दिचलस्प मुकाबला
आमचुनाव के तीसरे चरण में 23 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए रविवार की शाम चुनावी शोर थम गया।
जासं, भुवनेश्वर : आमचुनाव के तीसरे चरण में 23 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए रविवार की शाम चुनावी शोर थम गया। ओडिशा में तीसरे चरण में जिन 6 लोकसभा सीट पर चुनाव होना है, उसमें भुवनेश्वर एवं पुरी लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। वर्तमान दोनों ही सीट पर बीजू जनता दल का कब्जा है। हालांकि भाजपा ने इन दोनों सीट पर इस बार दो तेज तर्रार उम्मीदवार उतारकर बीजद की मुश्किलें बढ़ा दी है। पुरी लोकसभा सीट पर पिनाकी मिश्र के सामने भाजपा ने जहां पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्र को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं भुवनेश्वर में दोनों दलों ने अपने उम्मीदवार को बदल दिया है। दोनों ही पार्टी दो वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों पर दांव खेला है। ऐसे में भुवनेश्वर लोकसभा क्षेत्र दो ब्यूरोक्रेट्स के बीच दिलचस्प लड़ाई का गवाह बनेगा। हालांकि भुवनेश्वर से पूरी तरह से परिचित अपराजिता षाड़ंगी के चुनाव मैदान में आने से बीजद के लिए सीट बचाना आसान नहीं है वहीं यहां पर भाजपा के लिए खाता खोलने की बड़ी चुनौती है। यदि सफल होती है तो यह चुनावी इतिहास में भुवनेश्वर से भाजपा की पहली बार जीत होगी।
स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर नवंबर 2018 में पार्टी में शामिल हुई 1994 कैडर की आइएएस अपराजिता षाड़ंगी को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। वहीं बीजू जनता दल ने वर्तमान सांसद प्रसन्न कुमार पाटशाणी का टिकट काटकर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक को गढ़ बरकरार रखने की जिम्मेदारी सौंपी है। वह पुरी जिले के डेलंगा के निवासी हैं। कांग्रेस यहां पर सीपीएम उम्मीदवार जनार्दन पति को समर्थन दे रही है। यह सीट तीन बार सीपीएम के पास रही है।
भाजपा उम्मीदवार अपराजिता षाड़ंगी के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह यहां रोडशो और सभाएं कर चुके हैं। बीजद सुप्रीमो सह मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अरूप पटनायक को जिताने के लिए लोगों का आह्वान किया है। हालांकि सीपीएम प्रत्याशी के समर्थन में अब तक किसी बड़े नेता के आने की खबर नहीं है। हां, राहुल गांधी की जनवरी में भुवनेश्वर में जनसभा हुई थी पर तब तक जनार्दन की प्रत्याशिता तय नहीं थी।
उल्लेखनीय है कि इस निर्वाचन क्षेत्र में अब तक हुए 16 चुनाव में आठ बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। सीपीएम ने तीन बार लोकसभा चुनाव यहां से जीत चुकी है। भाजपा का अब तक इस सीट पर खाता तक नहीं खुला। भाजपा के रणनीतिकारों को लगता है कि अबकी खाता खुल सकता है। हालांकि 2014 की मोदी लहर में भी बीजद ने ही जीत दर्ज की थी। भाजपा नेताओं को लगता है कि अबकी बार माहौल उनके पक्ष हैं।
उम्मीदवार अपराजिता का कहना है कि वह क्षेत्र की जनता के लिए अजनबी नहीं है। उन्होंने पद पर रहते हुए भुवनेश्वर के लिए बहुत काम किया है। उनका दावा है कि जनसहभागिता को प्रमुखता देने की उनकी शैली का लाभ उन्हें मिल रहा है। वहीं बीजद के अरूप पटनायक कहते हैं कि 1998 से यहां किसी अन्य दल को जनता ने अवसर ही नहीं दिया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के कार्यकाल में भुवनेश्वर में जबर्दस्त विकास हुआ। एक नंबर की स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला। नवीन बाबू की छवि का पूरा लाभ उन्हें मिलेगा।