गणकवि वैष्णव की कीर्ति व कृति सदैव अविस्मरणीय रहेगी : राज्यपाल
ओडिशा संस्कृति की अनन्य भूमि है। सभी प्रकार की भाव भंगिमा यहा पर समाहित हैं।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : ओडिशा संस्कृति की अनन्य भूमि है। सभी प्रकार की भाव भंगिमा यहां पर समाहित है। ओडिशा संस्कृति का इतिहास एवं परंपरा काफी प्राचीन है। युगों-युगों से यह मानव जाति के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। प्रेम, विद्रोह, संग्राम, साधना, सेवा एवं ¨चतन के उत्कर्ष के लिए ओडिशा सदैव वंदनीय है। इस समृद्ध धरा का महिमा मंडन गणकवि वैष्णव पाणी ने किया है। उनकी कीíत एवं कृति दोनों सदैव अविस्मरणीय रहेगी। ये बातें राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने स्थानीय जयदेव भवन में आयोजित गणकवि वैष्णव पाणी की 136वीं जन्म जयंती पर आयोजित राज्यस्तरीय समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कही।
राज्यपाल ने कहा कि वे वैष्णव पाणी की रचना में समकालीन समाज का चित्र है। जनमानस के सपने एवं संग्राम को उन्होंने कलात्मक ढंग से प्रकाशित किया है। उनकी रचनाएं अन्यों के लिए सदैव प्रेरणा का काम करेगी।
स्वास्थ्य व परिवार कल्याण एवं कानून, सूचना तथा जनसंपर्क मंत्री प्रताप जेना ने वैष्णव पाणी के ओड़िया सारस्वत जगत में उनके योगदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। महिला एवं शिशु विकास मंत्री प्रफुल्ल सामल, भुवनेश्वर के मेयर अनंत नारायण जेना आदि ने भी पाणी को ओडिशा का गौरव बताया। इस अवसर पर प्रख्यात गायक प्रणव किशोर पटनायक को गणकवि सम्मान से सम्मानित किया गया। गणकवि सांस्कृतिक संसद के सचिव देव जेना एवं मुख्य संयोजक अवनी चंद्र दास ने संस्था के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी।