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IAS-IPS का डेपुटेशन नियम संशोधन प्रसंग: केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर ओडिशा सरकार ने जताया ऐतराज

ओडिशा सरकार ने भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की तरफ से दिए गए संशोधन प्रस्ताव पर असहमति प्रकट करते हुए केंद्र सरकार को अपनी मंशा जाहिर कर दी है। बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही बिहार सरकार ने भी इसका विरोध किया है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 02:35 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 02:35 PM (IST)
IAS-IPS का डेपुटेशन नियम संशोधन प्रसंग: केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर ओडिशा सरकार ने जताया ऐतराज
भारतीय प्रशासनिक सेवा नियम 1954 की धारा-6 में संशोधन प्रस्ताव पर ओडिशा ने असहमति जाहिर की है

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। केंद्र सरकार के द्वारा प्रस्तावित भारतीय प्रशासनिक सेवा नियम 1954 की धारा-6 में संशोधन प्रस्ताव पर ओडिशा ने असहमति जाहिर की है। भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की तरफ से दिए गए संशोधन प्रस्ताव राज्य सरकार ने असहमति प्रकट करते हुए केंद्र सरकार को अपनी मंशा जाहिर कर दी है। वहीं दूसरी तरफ पूर्व प्रचलित नियम अच्छा होने की बात को दर्शाते हुए इसे जारी रखने के लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया है। इससे संघीय ढांचा की मर्यादा को बनाए रखने के साथ ही राज्यों की हित को ध्यान में रखते हुए ओडिशा की तरफ से एकाधिक दिशाओं ध्यान आकर्षित किया गया है। इससे पहले महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान सरकार ने खुल्लमखुल्ला केन्द्र सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया है। यहां तक कि बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही बिहार सरकार ने भी इसका विरोध किया है।

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ओडिशा की तरफ से कहा गया है कि केन्द्र स्तर पर जिस प्रकार से अधिकारियों की कमी महसूस की जा रही है, राज्य स्तर पर भी उसी प्रकार से कमी देखी जा रही है। ओडिशा जैसे राज्य में मंजूरी प्राप्त कई आईएएस पद खाली है। केन्द्र सरकार इस दिशा में कदम उठाते हुए खाली पड़े पदों को तुरन्त भरने के लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया है। वहीं दूसरी तरफ राज्य एवं केन्द्र की कई प्रमुख जनहित योजना है।

केन्द्रीय योजना लागू करने का दायित्व भी राज्य सरकार द्वारा नियोजित अधिकारी निभा रहे हैं। जिलाधीश, प्रोजेक्ट निदेशक जैसे पद में रहकर भारतीय सेवा अधिकारी विकासमूलक एवं लोकाभिमुखी योजनाओं के कार्यान्वयन के दायित्व में रहते हैं। राज्य सरकार की बिना अनुमति के उन्हें यदि किसी भी समय केन्द्र डेपुटेशन में बुलाया जाता है तो फिर निर्धारित समय में कार्य में योगदान देने के लिए निर्देश भी जारी किया जाएगा। ऐसे में जिस योजना के दायित्व में ये अधिकारी होंगे, उस योजना का कार्य प्रभावित होगा। इसके अलावा योजना की सफलता के लिए  ये अधिकारी जिम्मेदारी लेकर कार्य करते हैं। इन्हें एक पद पर निश्चित अवधि तक अवस्थापित करने के लिए सर्वनिम्न गारेंटी ना होने से उनके मनोबल एवं कार्य कौशल प्रभावित होंगे। ऐसे में उपरोक्त एकाधिक कारणों से केन्द्र सरकार को इसमें संशोधन नहीं करना चाहिए।

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार केन्द्र डेपुटेशन नियम में परिवर्तन के लिए नियम बनाने की योजना बना रही है। भारत सरकार राज्य में कार्यरत किसी भी अधिकारी को यदि अपने अधीन लेना चाहती है तो फिर निर्धारित समय के अन्दर राज्य उस अधिकारी को दायित्व मुक्त करेगी। 

राज्य स्तर पर सर्वाधिक 40 प्रतिशत अधिकारी डेपुटेशन रहेंगे। यह जिस प्रकार से नियमित होगा, उसी हिसाब से राज्य डेपुटेशन में जाने वाले अधिकारियों की सूची तैयार कर रखेगी। उसी तरह से केन्द्र एवं राज्य सरकार के बीच कोई विवाद दिखाई देने पर केन्द्र सरकार अंतिम निर्णय लेगी और राज्य को निर्धारित समयसीमा के अन्दर उसे कार्यकारी करना होगा, जिसे लेकर राज्य सरकार ने असहमति प्रकट किया है।

यहां उल्लेखनीय है कि इस संशोधन प्रस्ताव पर अपनी अपनी राय देने के लिए पिछले 12 तारीख को केन्द्र सरकार ने राज्यों को पत्र लिखा था। 25 जनवरी तक इस पर अपनी राय देने के लिए केन्द्र सरकार ने स्पष्ट किया था। इसी के तहत सोमवार को मुख्य सचिव सुरेश चन्द्र महापात्र के साथ चर्चा करने के बाद केन्द्र सरकार के इस प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने असहमति प्रकट किया है।


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