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बाबा रामदेव के रूप में भगवान ने लिया था अवतार

बाबा रामदेव रुणिचा वाले का भव्य जम्मा जागरण 19 सितंबर को धूमधाम से मन

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 04:10 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 04:10 PM (IST)
बाबा रामदेव के रूप में भगवान ने लिया था अवतार
बाबा रामदेव के रूप में भगवान ने लिया था अवतार

शेषनाथ राय, भुवनेश्वर

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बाबा रामदेव रुणिचा वाले का भव्य जम्मा जागरण 19 सितंबर को धूमधाम से मनाने की तैयारी जोरशोर से चल रही है। बाबा के संबंध में बाबा के अनन्य भक्त नवरतन बोथरा ने बताया कि रामदेव रुणिचा वाला ट्रस्ट हर साल बड़े ही धूमधाम के साथ जम्मा जागरण के रूप में बाबा का जन्मोत्सव मनाता है। बाबा के बारे में माता का पर्चा से लेकर दर्जी को चमत्कार जैसी कई घटनाएं उन्हें देवत्व प्रदान करती है।

दैनिक जागरण के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि कहा जाता है कि जब जब संसार में अत्याचार, अधर्म व शोषण बढ़ता है, उसका निवारण करने भगवान को अवतार लेना पड़ता है। बाबा के संबंध में एक कथा प्रचलित है लगभग 645 वर्ष पूर्व राजस्थान के पोकरण के तंवर वंशीय राजा अजमल जी को कोई पुत्र नहीं था। राजा बहुत ही न्यायप्रिय व द्वारकाधीश का अन्नय भक्त थे। कहते हैं 635 वर्ष पूर्व राजस्थान में भयानक अकाल पड़ा। तब राजा ने द्वारिकाधीश का आह्वान किया। जिसके बाद अच्छी बारिश हुई। राजा ने सोचा अच्छी बारिश हुई है, देखें किसान खेती कर रहे हैं या नहीं। देखा किसान हल बैल लेकर जा रहे हैं। अचानक राजा को देखकर रुक गए। राजा ने रुकने का कारण पूछा तो एक किसान बोला, राजन आपका मुख देखकर खेती करने कैसे जा सकते हैं। हमारा शगुन खराब हो गया। राजा दुखी मन से महल लौट आए। रानी को अपना दुख बताया तो रानी ने सुझाया कि आप द्वारका जाकर द्वारकाधीश से पुत्र मांगे। राजा द्वारकाधीश के मंदिर पहुंचे और पुत्र की कामना की। किंतु पत्थर की मूíत के न बोलने से राजा ने क्रोधित होकर एक लड्डू भगवान पर दे मारा। तभी पुजारी आ जाता है और राजा को समझाया कि भगवान समुद्र में विश्राम कर रहे हैं। पुजारी की बात मानकर राजा समुद्र में कूद जाते हैं और देखते हैं कि भगवान द्वारकाधीश शेषनाग की शय्या पर विश्राम कर रहे हैं। लक्ष्मी जी पैर दबा रही हैं। राजा भगवान को प्रणाम कर सिर पर लगी चोट का कारण पूछते हैं तो भगवान कहते हैं किसी भक्त ने सिर पर लड्डू मार दिया है। राजा को अपनी गलती का अहसास हो जाता है। भगवान उनसे आने का कारण पूछते हैं और उनका आग्रह स्वीकार कर स्वयं पुत्र रूप में उनके घर अवतरित होने की स्वीकृति देते हैं। भाद्र माह, शुक्ल पक्ष द्वितीया को राजा के घर बालक रामदेव के रूप में भगवान अवतार लेते हैं। राजा की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। बड़े होने पर रामदेव ने घोड़े के लिए हठ की तो माता मेंणादे बाई सुगणा को भेज कर दर्जी को बुलाती हैं और नया कपड़ा देकर एक सुंदर घोड़ा बनाने को कहती हैं। दर्जी घोड़ा बनाकर लाता है तो रामदेव इस घोड़े पर बैठ कर आकाश में उड़ने लगते है। यह देख राजा दर्जी को जादूगर समझकर जेल में डाल देते हैं। रामदेव आसमान से नीचे उतरते है और दर्जी को पर्चा देते है। इसके बाद से दर्जी के वंशज भाद्र महीने में कपड़े का घोड़ा बनाकर भगवान को भेंट करने रामदेवरा पहुंचते हैं। भैरव राक्षस से मुक्ति अछूतों को समानता का अधिकार जीवित समाधि की कथा व बाबा श्री रामदेव जी सुप्रसिद्ध 24 पर्चों का विशेष महत्व रखता है।


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