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मात्र 35 रुपये बेड फीस, ले रहे 350

कटक श्रीरामचन्द्र भंज (एससीबी) मेडिकल कॉलेज में एक के बाद एक भ्रष्टाचार के

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 04:50 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 04:50 PM (IST)
मात्र 35 रुपये बेड फीस, ले रहे 350
मात्र 35 रुपये बेड फीस, ले रहे 350

जासं, भुवनेश्वर : कटक श्रीरामचन्द्र भंज (एससीबी) मेडिकल कॉलेज में एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं। बीमारी एवं बीमार व्यक्तियों के नाम पर मेडिकल के अधिकारी किस प्रकार से काम कर रहे हैं, उसका प्रमाण आडिट रिपोर्ट में मिला है। 2015-16 में डेंगू वार्ड के लिए मेडिकल की तरफ से खरीदे गए बेड को लेकर एक बड़ी धांधली होने की बात सामने आई है। इसमें तीन लाख रुपये का हेरफेर किए जाने की जानकारी ऑडिट रिपोर्ट से मिली है।

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खबर के मुताबिक मेडिकल की ओर से विशेष डेंगू वार्ड के लिए 100 बेड खरीदा गया था, जिसमें प्रत्येक बेड का कीमत तीन हजार रुपये बताया गया था। उद्योग विभाग के अधीन रहने वाले इपीएम (एक्सपर्ट प्रमोटिंग मार्केटिंग) द्वारा निर्धारित दर के मुताबिक बेड खरीदे जाने की बात मेडिकल की तरफ से कही गई है। हालांकि वर्ष 2016-17 जून एवं जुलाई महीने में डेंगू वार्ड खुलने के समय मात्र नौ बेड देखा गया था। डेंगू वार्ड दायित्व में रहने वाले डॉक्टरों के प्रतिवाद करने पर नया एवं पुराना मिलाकर 350 बेड होने की बात चली और डेंगू बेड खरीदी प्रक्रिया में धांधली होने की बात सामने आई। अब इस धांधली को आडिट रिपोर्ट में पकड़े जाने के बाद छानबीन शुरू हो गई है। यहां उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 से हर साल डेंगू वार्ड के लिए बेड खरीदा जाता है, मगर पिछले साल के सभी बेड का हिसाब नहीं रहता है। केवल डेंगू मरीजों के लिए खरीदे गए बेड में ही धांधली नहीं हुई बल्कि इससे पहले भी आडिट रिपोर्ट में धांधली होने की बात पता चल चुकी है। इस संदर्भ में सतर्कता विभाग में मामला दर्ज है। पिछले दोनों मेडिकल में नियोजित एक निजी संस्था यूजर्स फी हड़पने की बात ऑडिट रिपोर्ट में पता चल चुकी है। उक्त संस्था ने रोगियों से वसूले गए पैसे को बड़े ही चालाकी से हड़प लिया था। एक रोगी किसी एक परीक्षण के लिए 350 रुपये जमा करती थी और उक्त कम्प्यूटर एवं कागजात में शून्य को काटकर मेडिकल के तहसील में 35 रुपया जमा करती थी। ऑडिट रिपोर्ट में पता चलने का बाद अब वह संस्था किश्त में उक्त रकम को लौटा रही है। खबर के मुताबिक अबतक उक्त संस्था तीन लाख रुपया लौटा चुकी है। लेकिन मजे की बात है कि उक्त संस्था को आज भी मेडिकल प्रशासन कार्य में नियोजित किए हुए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता रमेश विश्वाल का कहना है कि इस संस्था को और एक बड़ी धांधली करने का मौका मेडिकल की तरफ से दिया जा रहा है।

इस संबंध में मेडिकल प्रशासनिक अधिकारी कल्पतरू बेहेरा ने कहा है कि डेंगू बेड खरीददारी के बारे में आडिट रिपोर्ट में कुछ प्रश्न चिह्न लगाए गए हैं। उस पर जांच की जा रही है। जिस निजी संस्था ने यूजर्स फी हड़पा है उसे नोटिस जारी की गई है। आडिट रिपोर्ट में जो आंकड़ा सामने आई है, उक्त संस्था से वसूला जा रहा है। हालांकि उक्त संस्था को काली सूची में डालकर बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखाया जा रहा है उस पर उक्त अधिकारी ने चुप्पी साध ली।


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