कोरोना महामारी में भी नहीं थमी मिसाइलों की सांसें: भारत के डीआरडीओ को लोहा मानने लगा है सारा विश्व
Missile Test in Corona epidemic कोरोना महामारी से बिना डरे डीआरडीओ ने इस कठिन समय में भी भारत का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाला अग्नि 5 मिसाइल से लेकर बैलेस्टिक और क्रूज़ सीरीज की कई हल्के और भारी-भरकम मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
बालेश्वर, लावा पांडे। कोरोना जैसे महामारी से आज एक और जहां विश्व के कई देश तड़प रहे हैं तो वहीं कई देश कराहने लगे हैं। विगत दो वर्षों से इस महामारी के चलते लाखों लोगों की जान चली गयी। वहीं दूसरी ओर विश्व के प्राय: सभी देशों के आर्थिक परिस्थिति भी लड़खड़ा गई है। आज भी लोगों के मन में डर और भय बसा है कि कहीं इस महामारी के चलते उनकी जान न चली जाए। आज हम यहां बात करेंगे इस महामारी ने एक ओर जहां सारे विश्व को डराया वही भारत का डीआरडीओ जिसे आज सारा विश्व मिसाइलों के क्षेत्र में लोहा मानने लगा है इस महामारी से ना डरते हुए ना भय करते हुए डीआरडीओ ने भारत का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाला अग्नि 5 मिसाइल से लेकर बैलेस्टिक और क्रूज़ सीरीज की कई हल्के और भारी-भरकम मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
सारे मिसाइल स्वदेशी ज्ञान कौशल से निर्मित
सुबह हो या शाम दिन हो या रात भारतीय वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया कि किसी भी समय और किसी भी मौसम में भारतीय मिसाइलें दुश्मनों के किसी भी आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। केवल सन 2021 वर्ष में भारत ने एक दर्जन से ज्यादा मिसाइलों का परीक्षण करके भारतीय डीआरडीओ ने अपनी काबिलियत का परिचय दे डाला है। सबसे खास बात यह है कि मिसाइल टेक्नोलॉजी के लिए भारत को अब विदेशी देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है बल्कि जितने भी मिसाइलों का परीक्षण भारत ने किया है सारे मिसाइल स्वदेशी ज्ञान कौशल से निर्मित है।
साल के अंत में मिसाइलों के परीक्षण की सुनामी
वर्ष 2021 में साल के शुरुआत में मिसाइलों का परीक्षण का दौर धीमा था लेकिन साल के अंत होते-होते मानो मिसाइलों के परीक्षण की सुनामी आ गई थी। इस दौरान भारतीय डीआरडीओ ने सतह से सतह में मार करने वाली मिसाइल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल हवा से सतह में मार करने वाली मिसाइलों का जबरदस्त और सफलतापूर्वक परीक्षण कर डाला। इसके अंतर्गत कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें तथा भारत का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाला अग्नि 5 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण के साथ ही हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण किया गया।
नहीं कि पड़ोसी देशों गीदड़ भभकी की परवाह
यहां बता दें कि भारत ने पड़ोसी देशों के गीदड़ भभकी की परवाह किए बगैर हाइपरसोनिक मिसाइलो के निर्माण आविष्कार और उसके नवीनतम टेक्नोलॉजी पर प्रयोग और परीक्षण जारी रखे हुए हैं। सन 2021 वर्ष में मुख्यतः हाइपरसोनिक मिसाइलों के परीक्षण पर भारतीय डीआरडीओ ने ज्यादा जोर दिया था। वैसे तो मिसाइलों का परीक्षण मुख्यतः ओडिशा के तटवर्ती जिला बालेश्वर से किया जाता है। यहां पर बालेश्वर के चांदीपुर नामक स्थान पर स्थित है आइटीआर यानी कि अंतरिम परीक्षण परिषद का कार्यालय है। यहां पर एल सी 1 एल सी 2 और एल सी 3 नामक लंचिंग कंपलेक्स है जहां से मिसाइलों का परीक्षण किया जाता है।
वहीं दूसरी ओर ओडिशा के तटवर्ती जिला में ही मौजूद है अब्दुल कलाम द्वीप जहां पर एल सी 4 यानी कि लंचिंग कंपलेक्स 4 से मुख्यतः भारी-भरकम और अत्याधुनिक मिसाइलों का परीक्षण किया जाता है। डीआरडीओ यानी की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का आर एंड डी विंग है। अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत को सशक्त बनाने में लगा है। आज भारत का डीआरडीओ जल स्थल और वायु तीनों सेनाओं के लिए अत्याधुनिक मिसाइलें तैयार करने के साथ-साथ परीक्षण करने की कोशिश में जी जान से लगा है।
हमारे पड़ोसी देश मुख्यतः चीन और पाकिस्तान समय-समय पर भारतीय मिसाइलों को लेकर विश्व स्तर पर इसकी चर्चा करते रहे हैं लेकिन यह दोनों देश अब भली-भांति समझ गए हैं कि भारत का डीआरडीओ मुख्यतः मिसाइल के क्षेत्र में मानो मील का पत्थर बन चुका है। किसी भी समय किसी भी मौके पर भारतीय मिसाइलें किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए सक्षम है। यदि आज यह कहा जाए की कोरोना जैसी महामारी में भी नहीं रुकी मिसाइलों के परीक्षण की सांसे तो शायद यह असंभव नहीं होगा।