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छत्तीस घंटे बाद भी पीड़ित परिवार से नहीं मिला कोई सरकारी प्रतिनिधि

नगर स्थित कुआखाई नदी घाट पर छठ पूजा के दौरान एक बच्चे की मौत के मामले में पीड़ित परिवार की सुध अबतक किसी ने नहीं ली है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 10:33 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 06:37 AM (IST)
छत्तीस घंटे बाद भी पीड़ित परिवार से नहीं मिला कोई सरकारी प्रतिनिधि
छत्तीस घंटे बाद भी पीड़ित परिवार से नहीं मिला कोई सरकारी प्रतिनिधि

जासं, भुवनेश्वर : नगर स्थित कुआखाई नदी घाट पर छठ पूजा के दौरान उदीयमान भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य देने के दौरान एक बच्चे की मौत के मामले का समाचार दैनिक जागरण में प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद पूजा कमेटी के पदाधिकारियों में चितन एवं मंथन का दौर शुरू हो गया है। हालांकि हादसे के 36 घंटे बाद भी सरकार का कोई प्रतिनिधि या सरकारी सहायता पीड़ित परिवार तक नहीं पहुंचने से लोगों में असंतोष देखा जा रहा है। वहीं इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है। आगे इस तरह की घटना न हो इसके लिए क्या कदम उठाने चाहिए, इस पर समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने चितन करने की मांग की है। इतना ही नहीं छठ घाट पर अव्यवस्था एवं आतिशबाजी को लेकर समाज के कई सदस्यों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए संगठन की आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग की है। आरोप है कि कुछ लोग इस हादसे पर राजनीति करने से परहेज नहीं कर रहे हैं और इस हादसे को हिदी विकास मंच एवं बिस्वास के साथ जोड़कर राजनीति कर रहे रहे हैं। हालांकि आज से चार साल पहले वर्ष 2016 में ही दोनों गुट की बैठक में सार्वजनिक रूप से मिलकर छठ पूजा करने का समाज के वरिष्ठ सदस्यों की उपस्थिति में निर्णय हुआ था। इसके बावजूद कुछ लोगों द्वारा इस पर किसी संस्था को बदनाम करना उचित नहीं है, इसके लिए कहीं न कहीं कमेटी से जुड़े सभी सदस्य जिम्मेदार हैं जिन्होंने घाट पर नदी के अंदर न ही बेरिकेड की व्यवस्था की और ना ही घाट पर समुचित प्रकाश की। खामियाजा एक बच्चे को अपनी जिदगी से हाथ धोकर भुगतना पड़ा है। इसके लिए अभी तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है कि आखिर यह हादसा कमेटी के लापरवाही के कारण हुआ है या फिर प्रशासन की लापरवाही से। काबिलेगौर बात यह है कि सरकार ने तो अभी तक पीड़ित परिवार के साथ किसी प्रकार की संवेदना तक जाहिर नहीं की है। इससे प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं कि हर साल इतनी तादाद में छठ व्रतियों के समागम की बात जानने के बावजूद पहले से समुचित व्यवस्था क्यों नहीं की गई और सुरक्षा प्रबंध की अनदेखी से एक बच्चे की जान चली गई। 20 से 25 हजार लोगों की भीड़ को देखते हुए जिस प्रकार से प्रशासन की तरफ से घाट पर व्यवस्था की गई थी, वह भीड़ को देखते हुए पूरी तरह से नाकाफी थी। इस हादसे के लिए कमेटी के साथ प्रशासन भी कहीं न कहीं जिम्मेदार माना जा रहा है।

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