छठ पूजा की तैयारी, देखी घाट की व्यवस्था
आस्था के महापर्व, छठ को लेकर तैयारी शुरू हो गई है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : आस्था के महापर्व, छठ को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। खासकर राजधानी भुवनेश्वर समेत सांस्कृतिक नगरी कटक में रहने वाले बिहार, झारखंड एवं उत्तर प्रदेश के लोग घाटों का निरीक्षण कर घाट पर छठ व्रतियों एवं पूजा देखने आने वाले लोगों को कोई असुविधा न हो, इसकी तैयारी कर रहे हैं।
बुधवार दोपहर को छठ पूजा कमेटी के पदाधिकारियों ने कुआखाई घाट पहुंचकर मौका-मुआयना करने के साथ, वाहन पाíकंग, सुरक्षा की व्यवस्था, घाट की सजावट, लाइट व्यवस्था आदि पर विचार-विमर्श किया। छठ पूजा कमेटी के चेयरमैन तथा विश्वास के महासचिव चंद्रशेखर ¨सह, बिश्वास के अध्यक्ष संजय झा, अशोक भगत, किशलय कुमार, ¨हदी विकास मंच के संस्थापक सदस्य अनिल ¨सह, शंकर यादव, डॉ. मुकेश पोद्दार, पवन कुमार ¨सह, कामेश्वर गिरी आदि निरीक्षण टीम में शामिल थे। कुआखाई घाट पर छठ पूजा में सैकड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ हर साल जुटती है। राजधानी भुवनेश्वर एवं कटक में सामूहिक रूप से छठ पर्व का व्यवस्थित ढंग से आयोजन किए जाने से इन दोनों शहरों में धूमधाम के साथ छठ पूजा होती है।
उल्लेखनीय है कि मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व काíतक शुक्ल पक्ष की षष्ठी काíतकी छठ के रूप में मनायी जाती है। पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के छठ पर्व को स्त्री और पुरुष समान रूप से मनाते हैं। छठ व्रत के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से एक कथा के अनुसार, जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब श्रीकृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामना पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिला। लोक परंपरा के अनुसार सूर्यदेव और छठ मइया का संबंध भाई-बहन का है।