Odisha: कटक में सीएम नवीन पटनायक के दौरे का भाजपा ने किया विरोध
Odisha ममिता हत्याकांड को लेकर ओडिशा के कटक में भाजपा कार्यकर्ताओं ने ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के दौरे का विरोध किया। भाजपा के नेताओं के आरोप के मुताबिक जब तक ममिता को न्याय नहीं मिलेगा तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ममिता हत्याकांड को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में आंदोलन को तेज कर रही है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के हर एक दौरे को कटक में विरोध करने के लिए निर्णय लिया है। कटक नगर भाजपा ने उसी निर्णय के चलते बुधवार को जब मुख्यमंत्री नवीन पटनायक नराज में एक दुग्ध प्लांट का उद्घाटन करने पहुंचे, तभी भाजपा के नेता व कार्यकर्ता ममिता हत्या घटना को लेकर जमकर नारेबाजी व प्रदर्शन किया। उन्हें काला झंडा दिखाया गया और अंडा फेंकने की कोशिश की गई। कटक नगर भाजपा के अध्यक्ष ललाटेंदू बडू, भाजपा युवा मोर्चा अल्प संख्यक गुट के राज्य महा सचिव सिकंदर अल्ली,राज्य महिला मोर्चा महा सचिव रश्मिरेखा दास के साथ साथ काफी संख्या में कार्यकर्ता हाथों में कमल का झंडा फहरते हुए नारेबाजी व प्रदर्शन किया।
भाजपा के नेताओं के आरोप के मुताबिक, जब तक ममिता को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। इस घटना को लेकर राज्य भर में आंदोलन जारी है। राज्य गृह मंत्री दिब्य शंकर मिश्र की घटना में शामिल होने का आरोप आने के बावजूद मुख्यमंत्री उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उन्हें सुरक्षा दे रहे हैं, जो कि बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण बात है। आंदोलन करने वाले भाजपा के तमाम नेता व कार्यकर्ताओं को पुलिस मुख्यमंत्री हेलीकाप्टर से उतरने से पहले गिरफ्तार कर लिया बाद में छोड़ दिया गया।
गौरतलब है कि ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) के 22 विधायकों के मामले में निर्वाचन आयोग ने कहा कि ये विधायक लाभ का पद रखने के कारण अयोग्य करार दिए जाने के दायरे में नहीं आते हैं। समरेंद्र बेउरा नाम के एक व्यक्ति ने इन विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करते हुए कई याचिकाएं दायर की थीं। आरोप था कि ये विधायक एक साथ कई लाभ के पदों पर हैं। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि बीजद के 22 विधायक, जिन्हें कुछ वर्ष पहले विभिन्न जिला योजना समितियों और विशेष विकास परिषदों का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, वे लाभ का पद रखने के लिए अयोग्य करार दिए जाने के दायरे में नहीं आते हैं। इस कारण 22 प्रतिवादी विधायकों में से किसी को भी भारत के संविधान के अनुच्छेद 191(1)(ए) के प्रविधानों के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।निर्वाचन आयोग की 13 अक्तूबर की राय के आधार पर, ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल ने 22 अक्टूबर को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया। इसमें कहा गया कि संवैधानिक और कानूनी प्रविधानों और चुनाव आयोग की राय को देखते हुए इन विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।