दूसरे विश्व युद्ध की गवाह और एशिया की सबसे बड़ी हवाई पट्टी अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में
दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) की एक गवाह है और एशिया की सबसे बड़ी हवाई पट्टी अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। हवाई पट्टी को 1936 में 3 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया था जो 1940 में बनकर तैयार हुई थी
बारीपदा, जागरण संवाददाता। मयूरभंज जिले के अमर्दारोड रासगोबिंदपुर हवाई पट्टी दूसरे विश्व युद्ध की एक गवाह है और एशिया की सबसे बड़ी हवाई पट्टी है। करीब 400 एकड़ जमीन पर बनी यह हवाई पट्टी अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। मयूरभंज जिले के अमर्दारोड रासगोबिंदपुर हवाई पट्टी को आम जनता के लिए उपलब्ध कराने की मांग सदियों से हर राजनैतिक दल, जिला निवासी और समाजसेवी संगठन की ओर की जा रही है।
यह भारतीय वायुसेना के नियंत्रण में है। जिले में एकमात्र सबसे बड़ी हवाई पट्टी के पुनरुद्धार के लिए उड़ान योजना में शामिल किया गया था। हवाई पट्टी को 1936 में 3 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया था, जो 1940 में बनकर तैयार हुई थी। 11,000 फुट लंबे रनवे यहां पर हुआ करता था और जापान के खिलाफ द्वितीय विश्व युद्ध में यह हवाई पट्टी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि, हवाई पट्टी की स्थिति को देखते हुए इसे इतिहासकारों, शोधकर्ताओं और सरकार की जांच के दायरे में लाने की खबर भारत सरकार तक पहुंचाने मे कामयाब हुए मयूरभंज जिले के सांसद और केंद्र मंत्री बिसेश्वर टुडू। उत्तरी ओडिशा के विकास के साथ-साथ पूर्वी भारत के आर्थिक विकास के लिए हवाई अड्डे का बहुत महत्व है। हवाई अड्डे के पूर्ण संचालन के साथ, उत्तरी ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे क्षेत्र मुख्यधारा में शामिल हो सकेंगे और पर्यटन और व्यवसाय को बढ़ावा मिल सकता है।
एक बार में 300 फाइटर जेट्स को किया जा सकता है समायोजित
इस हवाई पट्टी में एक बार में 300 फाइटर जेट्स को समायोजित किया जा सकता है, लेकिन इसे पुनर्प्राप्त नहीं किया जा रहा था? हालांकि, मयूरभंज के सांसद इंजीनियर बिशेश्वर टुडू ने उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बातचीत करने के बाद, भारतीय वायुसेना विशेषज्ञों की एक टीम रसगोबिंदपुर हवाई पट्टी का दौरे पर आयी। इस दौरे पर जिला प्रशासनिक अधिकारी, मयूरभंज के महाराजा प्रवीणचंद्र भंजदेव, बीजेपी के जिला अध्यक्ष कांन्द्रा सोरेन समेत अन्य कार्यकर्ता भी शामिल थे। स्थानीय जनता और जिला के हर एक निवासी के अंदर एक खुशी का माहौल बना हुआ है और यह उम्मीद भी जगी है कि हवाई पट्टी को महत्व देते हुए जल्द से जल्द इस पर कारवाई करके इसको चालू कराने मे सही निर्णय लेगी भारत सरकार।