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ओडिशा में सुरक्षित नहीं हैं गजराज: तीन साल में 246 की गई जान

पिछले तीन वर्षो में विभिन्न कारण से 246 हाथियों की मौत हो चुकी है 2017 में हाथी गणना के मुताबिक राज्य के विभिन्न जंगलों में कुल 1976 हाथी मौजूद थे।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 12:09 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 12:09 PM (IST)
ओडिशा में सुरक्षित नहीं हैं गजराज: तीन साल में 246 की गई जान
ओडिशा में सुरक्षित नहीं हैं गजराज: तीन साल में 246 की गई जान

भुवनेश्वर, जेएनएन।  ओडिशा में गजराज सुरक्षित नहीं है। पिछले तीन साल में विभिन्न कारण से 246 गजराज की मृत्यु हो जाने की जानकारी जंगल एवं पर्यावरण विभाग के मंत्री विक्रम केशरी आरूख ने दी है। प्रदेश में हाथियों की संख्या कितनी है, पिछले तीन साल में कितने गजराज की जान गई है एवं उनके सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से क्या कदम उठाए जा रहे हैं, विधानसभा में बलांगीर लोइसिंहा के भाजपा विधायक मुकेश महालिक द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में मंत्री आरूख ने यह जानकारी दी है।

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मंत्री ने कहा है कि विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होकर, बिजली तार के स्पर्श में आ जाने, ट्रेन की चपेट में आ जाने जैसे कारणों के चलते हाथियों की मौत हो रही है। मंत्री ने कहा कि 2017 में हाथी गणना के मुताबिक राज्य के विभिन्न जंगलों में कुल 1976 हाथी हैं। इसमें से शिमिलीपाल अभयारण्य में सर्वाधिक 330 हाथी हैं जबकि ढेंकानाल में 169 हाथी, सातकोशिया में 147 हाथी तथा आठगड़में 115 हाथी हैं। ओड़िशा के 50 वनखंड में से 13 वनखंड में एक भी हाथी नहीं हैं। यहां तक कि भुवनेश्वर से सटे चंदका अभयारण्य में मात्र एक ही हाथी होने की जानकारी मंत्री ने दी है। 

 विभागीय मंत्री ने कहा कि हाथियों की सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से कई कदम उठाए गए हैं। बिजली तार के कारण करंट लगने से  हो रही हाथियों की मौत को रोकने के लिए चरणबद्ध तरीके से ऊर्जा विभाग के साथ बैठक की जा रही है। उसी तरह से दुर्घटना रोकने के लिए रेल एवं सड़क परिवहन विभाग को जागरूक किया जा रहा है। 14 हाथी कॉरिडोर सुरक्षा के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं।

हाथी कॉरिडोर के साथ अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान में नए तालाब खोदने के साथ हाथियों के खाद्य के लिए पौधे लगाए जाने की व्यवस्था किए जाने की जानकारी मंत्री ने दी है। यहां उल्लेखनीय है कि प्रदेश में जिस प्रकार से जंगलों की कटाई की जा रही है, उसके चलते खाद्य की खोज में हाथियों का झुंड रिहायसी इलाकों की तरफ आ जाता है। इससे लोगों के धन जीवन का भी भारी नुकसान होता है, साथ ही रिहायसी इलाके में प्रवेश करने कारण हाथियों को भी खामियाजा भुगतना पड़ता है।

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