गांधी जयंती पर रिहा होंगे राज्य की विभिन्न जेलों से 17 कैदी
गांधी जयंती के मौके पर दो अक्टूबर को राज्य की 91 जेलों में सजा काट रहे 17 कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर
गांधी जयंती के मौके पर दो अक्टूबर को राज्य की 91 जेलों में सजा काट रहे 17 कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा। इस संबंध में राज्य सरकार की उच्चस्तरीय कमेटी ने निर्णय लिया गया। इन कैदियों की रिहाई को लेकर सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और इस संबंध में जेल विभाग को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया गया है। रिहा होने वाले कुल 17 कैदियों में से कटक चौद्वार जेल से तीन कैदी रिहा होंगे। केंद्र सरकार के इस निर्णय से जेल में सजा काट रहे अच्छा व्यवहार करने वाले कैदियों के मन में आशा का संचार हुआ है।
वर्तमान समय में राज्य की कुल 91 जेलों में 15965 कैदी में से 3381 दोषी साबित होकर विभिन्न जेलों में अपनी सजा काट रहे हैं। राज्य की पांच केंद्रीय जेलों में 1215 कैदी, 9 जिला जेल में 959 कैदी, 73 सब जेल में 870 कैदी, एक महिला जेल में 15 कैदी, एक मुक्ताकाश कारागार में 103 एवं दो विशेष जेल में 219 कैदी हैं। इनमें से जिनके व्यवहार एवं आपराधिक मानसिकता में बदलाव आया है, उन्हें आगामी दो अक्टूबर को 150वीं गांधी जयंती के मौके पर रिहा करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्य के गृह विभाग को आवश्यक निर्देश प्राप्त हुआ था।
जिसके आधार पर ओडिशा गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर व्यवहार में बदलाव लाने वाले कैदियों की पहचान की गई। इस कमेटी में कानून विभाग के मुख्य सचिव सदस्य एवं कारागार विभाग के एडीजी को सदस्य सचिव बनाया गया था।
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रिहाई के लिए निर्धारित थी शर्त :
दो अक्टूबर को रिहा होने वाले कैदियों के लिए केंद्र की ओर से पहले से ही शर्त का निर्धारित कर दिया था। जिसके मुताबिक पुरुष कैदी की आयु 65 साल होनी चाहिए। पुरुष कैदी दोषी साबित होने के बाद अपनी सजा का 66 प्रतिशत एवं महिला कैदी 55 प्रतिशत सजा काट चुकी हो। इसके अलावा जो कैदी 60 प्रतिशत विकलांग हो, उनके बारे में भी विचार करने का निर्णय लिया गया था। हालांकि धारा दफा 302 यानी हत्या, दफा 395 डकैती, दफा 375 दुष्कर्म एवं ब्राऊन सुगर, गांजा तथा अफीम जैसे मादक द्रव्य में एनडीपीएस एक्ट के तहत दोषी साबित होने वाले कैदियों के बारे में कोई विचार नहीं करने का निर्णय लिया गया था। इसके अलावा जिन कैदियों को कोर्ट आजीवन कारावास की सजा सुनाई होगी उन्हें भी इस सूची में शामिल नहीं किया गया था।