प्रेममयी समाज का गठन ही शिक्षा का मूलमंत्र : राज्यपाल
सूर्य की किरणों की तरह ही शिक्षा की कोई सीमा नहीं होती। प्रेममय समाज ही शिक्षा का मूलमंत्र है।
जागरण संवाददाता, बालेश्वर : सूर्य की किरणों की तरह ही शिक्षा की कोई सीमा नहीं होती। प्रेममय समाज ही शिक्षा का मूलमंत्र है। यह बात राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल ने कही। स्थानीय सोरो ब्लॉक ब्लॉक के कृष्ण चंद्र सरस्वती विद्या मंदिर के रजत जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा ग्रहण एक निरंतर प्रक्रिया है। इसे मरते दम तक अपनाया जाना चाहिए तथा कुछ ना कुछ लोग सीखते ही हैं। बच्चे आने वाला भविष्य होते हैं। शिक्षा केवल नौकरी तक सीमित न रहकर बच्चे शिक्षा ग्रहण कर एक अच्छा मानव बने, हमे इस ओर ध्यान देना चाहिए। इस मौके पर राज्यपाल ने विद्यालय के विकास के लिए ढाई लाख रुपये की आर्थिक सहयोग भी किया। साथ ही कई गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया। विद्यालय परिचालन कमेटी के अध्यक्ष गोविद चंद्र नायक की अध्यक्षता में हुए इस समारोह में छात्र-छात्राओं समेत उनके अभिभावक भी शामिल रहे।
राज्यपाल प्रो. लाल ने नीलगिरी में विजय बंधु मिलन कमेटी की ओर से आयोजित कार्यक्रम भी शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री सह कमेटी के अध्यक्ष प्रताप षाड़ंगी की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल प्रो. लाल ने कहा कि बंधु मिलन का कार्यक्रम होने से इसके माध्यम से लोगों के बीच भाईचारा की भावना बढ़ती है। इस कार्यक्रम में जिलाधीश के सुदर्शन चक्रवर्ती, एसपी वी जुगल किशोर कुमार, अतिरिक्त जिलाधीश, नीलगिरी के एसडीएम समेत कई गणमान्य मौजूद थे।