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जल, थल, वायु से सिर्फ 35 दिनों में 10 से ज्यादा कामयाब मिसाइलों का परीक्षण

भारत की इस कामयाबी से अब चीन और पाकिस्तान के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गई हैं। गर्व की बात यह भी है कि कई सफल मिसाइलों में स्वदेशी तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 12:21 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 12:21 PM (IST)
जल, थल, वायु से सिर्फ 35 दिनों में 10 से ज्यादा कामयाब मिसाइलों का परीक्षण
किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए भारत तैयार है।

लावा पांडे, बालेश्वर (ओडिशा)। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने देश की सुरक्षा के लिए इस वर्ष बड़ी सफलता हासिल की है। इस वर्ष तीन दर्जन से ज्यादा मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। सिर्फ 35 दिनों में दस से ज्यादा कामयाब परीक्षण जल, थल एवं वायु से किए गए हैं। डीआरडीओ ने जल, थल व वायु सेना को मजबूत करते हुए सतह से सतह, सतह से हवा, हवा से हवा तथा पानी से हवा में मार करने वाली मिसाइल तैयार की है। भारी भरकम मिसाइल से छोटे राकेट तक का सफलता पूर्वक परीक्षण किया है। सुबह हो या शाम, दिन हो या रात, बारिश हो या धूप, सभी तरह के मौसम में इन मिसाइलों का परीक्षण शत-प्रतिशत सफल रहा। पहले कई वर्षो में जितने परीक्षण किए जाते थे, वर्ष 2020 में भारत ने उससे कई गुना ज्यादा परीक्षण मात्र 12 महीने में कर दिखाएं है।

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गर्व की बात यह है कि डीआरडीओ चांदीपुर आइटीआर परिसर के तहत केवल 35 दिनों में ही भारतीय वैज्ञानिकों ने दस भारी-भरकम मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण कर नजीर पेश की है।यह परीक्षण ऐसे समय में किया गया जब लद्दाख में चीन के साथ तनाव की स्थिति थी। वहीं, पाकिस्तान भी समय-समय पर सीज फायर का उल्लंघन कर रहा था। ऐसे में भारत अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने में लगातार जुटा रहा। यह सबको मालूम है कि वर्तमान समय में मिसाइलें ही युद्ध का फैसला करती हैं। विश्व के सामने भारत व भारतीय वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि किसी से कम नहीं हैं तथा किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए भारत तैयार है। 

सुबह- शाम, दोपहर-रात, बारिश-गर्मी, हर जगह हुए सफल

  • 07 सितंबर - हाइपर सोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटेड व्हीकल (एचएसटीडीवी) : यह एक ठोस राकेट प्रक्षेपण बूस्टर का उपयोग कर 20 सेकंड के लिए स्वयं संक रमजेट उड़ान प्राप्त करेगा।
  • 22 सितंबर - अभ्यास मिसाइल : इस मिसाइल को हाईस्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट एचईटी अभ्यास नाम दिया गया है। एक छोटे गैस टरबाइन इंजन और नेवीगेशन सिस्टम पर काम करता है।
  • 22 सितंबर - एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ओटीजीएम) : इस मिसाइल को अर्जुन टैंक से छोड़ा जाता है।
  • 23 सितंबर - पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल : यह सतह से सतह पर 350 किलोमीटर से 500 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। तरल ईंधन वाले दो इंजन से चलता है। यह परंपरागत और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है। लंबाई 8.56 मीटर, चौड़ाई 1.1 मीटर तथा वजन 4600 किलोग्राम है।
  • 30 सितंबर - ब्रमहोस क्रूज मिसाइल : यह एक कम दूरी की रेमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी से, जहाज से, विमान से और जमीन से छोड़ा जा सकता है।
  • 01 अक्टूबर - लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) : यह एक लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल है। इसको अर्जुन टैंक से छोड़ा जाता है।
  • 02 अक्टूबर - शौर्य मिसाइल : यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु क्षमता से लैस बैलेस्टिक मिसाइल है। यह 800 किलोमीटर की दूरी पर किसी भी लक्ष्य को निशाना बना सकता है। यह संचालित करने में हल्का व आसान है।
  • 05 अक्टूबर - सुपर सोनिक असिस्टेंट रिलीज ऑफ टॉरपीडो (स्मार्ट) मिसाइल : यह एक तरह का सुपर सोनिक एंटी शिप मिसाइल है। इसके साथ एक कम वजन का टॉरपीडो लगा रहता है, जो पेलोड की तरह इस्तेमाल होता है। दोनों मिलकर इसे एक सुपर सोनिक एंटी सबमरीन मिसाइल बना देते हैं। इसमें मिसाइल के फीचर्स भी मिलेंगे और पनडुब्बी नष्ट करने की क्षमता है।
  • 09 अक्टूबर - न्यू जेनरेशन एंटी रेडिएशन मिसाइल (एनजीएआरएम) : यह भारत की पहली एंटी रेडिएशन मिसाइल है। इसे दुश्मन के अंदर और सíवलांस सिस्टम को ध्वस्त करने के लिए लांच किया जा सकता है।
  • 12 अक्टूबर - निर्भय क्रूज मिसाइल : यह सभी मौसम में काम करने वाला कम लागत, लंबी दूरी का परंपरागत व परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम क्रूज मिसाइल है। इसकी लंबाई छह मीटर, वजन लगभग 1500 किलोग्राम है।

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