बालेश्वर उपचुनाव में बीजद की विजय सुनिश्चित : रवींद्र जेना
बालेश्वर सदर विधानसभा सीट के लिए आगामी तीन नवंबर को उप चुनाव होना है। इस सीट पर कुल 7 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
जासं, बालेश्वर : बालेश्वर सदर विधानसभा सीट के लिए आगामी तीन नवंबर को उप चुनाव होना है। इस सीट पर कुल 7 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। यहां पर नगर पालिका के कुल 31 वार्ड तथा कुल 26 पंचायत बालेश्वर सदर चुनाव क्षेत्र में मौजूद है। किसी के लिए नेता तो किसी के लिए अभिनेता चुनाव प्रचार करने आ रहे हैं। इस सीट पर 35 वर्ष से लेकर 90 वर्ष तक की उम्र वाले उम्मीदवार इस चुनाव को दिलचस्प बनाने में लगे हैं। बालेश्वर बीजू जनता दल के अध्यक्ष तथा पूर्व सांसद रवींद्र कुमार जेना ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि इस उपचुनाव में बीजू जनता दल के उम्मीदवार की विजय सुनिश्चित है क्योंकि चाहे प्राकृतिक आपदा हो या फिर कोरोना जैसी महामारी इन सब समय में यदि आम जनता के पास पीड़ित व्यक्तियों के पास कोई पहुंचा है तो वह है बीजू जनता दल। इसके चलते लोग बीजू जनता दल के नेताओं से यह सवाल नहीं पूछ पाते हैं कि आप इतने दिन तक कहां थे। प्राकृतिक आपदा से लेकर आंधी तूफान या फिर कोरोना जैसी महामारी के वक्त आप हमारी सहायता करने क्यों नहीं आए। इस तरह का सवाल आम लोगों के पास नहीं है क्योंकि लोगों के असुविधा या दुख के समय बीजू जनता दल के नेता और कार्यकर्ता उनके पास खड़े दिखाई पड़ते हैं। जो लोग आज वोट मांगने की राजनीति के तौर पर आम जनता से मुख्यत: ग्रामीण इलाकों में वोट के लिए जा रहे हैं आम जनता उनसे यह सवाल जरूर पूछ रही है कि इतने दिनों तक आप कहां थे। चाहे प्राकृतिक आपदा हो या फिर कोरोना जैसी महामारी आपको हम देखने को नहीं पाए थे। हम जिसे देखने को पाए थे उसे ही वोट देंगे। यह कहना है रवींद्र कुमार जेना का। सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि चुनाव में कोई हारेगा तभी तो कोई जीतेगा। हार जीत तो लगी रहेगी लेकिन एक ओर जहां बालेश्वर सदर का उपचुनाव भाजपा, बीजद और कांग्रेस के नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। इसके चलते इन तीनों पार्टियों के प्राय सभी हैवीवेट नेता चुनाव प्रचार में कूद पड़े हैं। वहीं, दूसरी ओर जो निर्दलीय उम्मीदवार हैं उनके लिए नेता कम बल्कि अभिनेता ज्यादा प्रचार कर रहे हैं तथा उनके लिए घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। यह तो वक्त ही बताएगा कि इस चुनाव में विजय किसे मिलेगी और पराजय का स्वाद किसे चखना पड़ेगा।