जलवायु परिवर्तन और संक्रामक रोगों से समाप्त हुई सिंधु सभ्यता
वाशिंगटन। जलवायु परिवर्तन, संक्रामक रोग और आपसी हिंसा ने करीब चार हजार साल पहले सिंधु घाटी या हड़प्पा संस्कृति को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालिया शोध के नतीजों के तहत यह जानकारी दी गई है। सिंधु घाटी सभ्यता का अंत और मानव आबादी का दोबारा संगठित होना लंबे समय से विवाद का विषय रहा है। नॉर्थ कैरोलिना स्थित एप्पलचि
वाशिंगटन। जलवायु परिवर्तन, संक्रामक रोग और आपसी हिंसा ने करीब चार हजार साल पहले सिंधु घाटी या हड़प्पा संस्कृति को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालिया शोध के नतीजों के तहत यह जानकारी दी गई है। सिंधु घाटी सभ्यता का अंत और मानव आबादी का दोबारा संगठित होना लंबे समय से विवाद का विषय रहा है।
नॉर्थ कैरोलिना स्थित एप्पलचियान स्टेट यूनिवर्सिटी में मानव विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर ग्वेन रॉबिंस शुग ने कहा कि जलवायु,आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों ने सिंधु सभ्यता के अंत की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि इस बारे में बहुत कम जानकारी मिल पाई है कि इन बदलावों ने मानव जाति को किस तरह प्रभावित किया था। शुग द्वारा लिखा गया यह शोध पत्र पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि शुग और अन्य शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने हड़प्पा के तीन कब्रिस्तानों से मानव कंकाल अवशेषों में चोट और संक्रामक बीमारी की जांच की। हड़प्पा सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे बड़े शहरों में से एक था। बयान में कहा गया है कि शोध के नतीजे प्रचलित दावों के विपरीत हैं कि सिंधु सभ्यता का विकास शांतिपूर्ण, सहयोग और समतामूलक समाज के रूप में हुआ था और जहां किसी तरह का सामाजिक वर्ग भेद नहीं था। विश्लेषण के अनुसार हड़प्पा में कुछ समुदायों को अन्य के मुकाबले जलवायु परिवर्तन और सामाजिक, आर्थिक भेदभाव का अधिक असर झेलना पड़ा था।
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