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भारत ने दिया श्रीलंका के खिलाफ वोट

जेनेवा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद [यूएनएचआरसी] में गुरुवार को 24 अन्य देशों के साथ श्रीलंका के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर अमेरिका प्रायोजित प्रस्ताव का समर्थन किया। भारत ने श्रीलंका से कहा कि वह मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की स्वतंत्र एवं विश्वसनीय जांच करे। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर द्रमुक भारत में सत्तारूढ़ संप्रग गठबंधन से अलग हो गया है।

By Edited By: Published: Thu, 21 Mar 2013 10:30 AM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2013 08:27 PM (IST)
भारत ने दिया श्रीलंका के खिलाफ वोट

जेनेवा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद [यूएनएचआरसी] में गुरुवार को 24 अन्य देशों के साथ श्रीलंका के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर अमेरिका प्रायोजित प्रस्ताव का समर्थन किया। भारत ने श्रीलंका से कहा कि वह मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की स्वतंत्र एवं विश्वसनीय जांच करे। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर द्रमुक भारत में सत्तारूढ़ संप्रग गठबंधन से अलग हो गया है।

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47 सदस्यीय यूएनएचआरसी के पाकिस्तान सहित कुल 13 सदस्य देशों ने इस विवादित प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया व श्रीलंका का साथ दिया। आठ सदस्यों ने मतदान में भाग नहीं लिया जबकि एक सदस्य गैबन मताधिकार के मुद्दे की वजह से वोट नहीं डाल सका।

सूत्रों का कहना है कि यह भी देखा गया कि 'प्रमोटिंग रेकंसिलिएशन एंड अकाउंटबिलिटी इन श्रीलंका' यानी 'श्रीलंका में फिर से मेलमिलाप एवं जवाबदेही को बढ़ावा देना' नामक इस प्रभावहीन प्रस्ताव में भारत कुछ लिखित प्रावधान जोड़ना चाहता था। जिसे प्रस्तावकों ने प्रस्ताव के अंतिम दस्तावेज में शामिल नहीं किया।

उनका कहना था कि इससे उद्देश्य पूरा नहीं होगा। अमेरिकी प्रस्ताव में कहा गया कि 'यह चिंता की बात है कि श्रीलंका की कार्रवाई की राष्ट्रीय योजना और आयोग की रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवता कानून के उल्लंघन के गंभीर आरोपों का पर्याप्त ढंग से निवारण नहीं करतीं।' इसमें इस पर भी ंिचंता जताई गई है कि श्रीलंका में मानवाधिकारों के उल्लंघन की खबरें आनी जारी हैं।

इनमें बगैर अदालती आदेश के हत्याएं, उत्पीड़न और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हक का उल्लंघन, संघ या शांतिपूर्ण ढंग से लोगों के एक जगह जमा होने के साथ मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आगे आने वाले नागरिकों एवं पत्रकारों को डराना-धमकाना और बदला लेना, न्यायिक स्वतंत्रता और कानून के शासन को खतरा और धर्म या आस्था के आधार पर भेदभाव के मामले शामिल हैं। इस प्रस्ताव में हस्तक्षेप करते हुए भारत के स्थायी प्रतिनिधि दिलीप सिन्हा ने कहा, 'हम मानवाधिकारों के उल्लंघन एवं नागरिकों के जीवन को हुई क्षति के आरोपों की एक स्वतंत्र एवं विश्वसनीय जांच की अपनी मांग दोहराते हैं। हम चिंता के साथ इसका उल्लेख करते हैं कि श्रीलंका द्वारा इस परिषद से वर्ष 2009 में किए गए वादों को पूरा करने में अपर्याप्त प्रगति हुई है।'

इस तरह भारत ने छह पैराग्राफ में सात लिखित संशोधन दिए थे। जिस पर श्रीलंका ने आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहा है कि वह भारत सरकार की घरेलू मजबूरियों को समझता है। इस अवसर पर अमेरिका ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में हुई प्रगति की उसे जानकारी है लेकिन अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। श्रीलंका हर हाल में सार्थक कार्रवाई करे और बढ़ती चिंता का निवारण करे। श्रीलंका ने इस प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा है कि यहां जो प्रस्ताव पेश किया गया है वह स्पष्ट रूप से उसके लिए अस्वीकार्य है।

प्रस्ताव के समर्थन में मतदान करने वाले प्रमुख देश -भारत,

बेनिन, लीबिया, सिएरा लियोन, अर्जेटीना, ब्राजील, ऑस्ट्रिया, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, स्पेन, स्विटजरलैंड और दक्षिण कोरिया।

प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वाले प्रमुख देश -पाकिस्तान, कांगो, मालदीव, थाइलैंड, यूएई, कतर, कुवैत, इक्वाडोर।

मतदान में भाग नहीं लेने वाले देश- केन्या, जापान, मलेशिया, कजाखिस्तान इथापिया, बोत्सवाना।

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