सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव रणनीति का हिस्सा: द इंडिपेंडेंट
एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सऊदी अरब और इरान के बीच तनाव रणनीति का हिस्सा है। सऊदी अरब खाड़ी के इलाके को अस्थिर करने की कोशिश में है।
लंदन। ईरान और सऊदी अरब के संबंधों का खतरनाक मोड़ पर पहुंचना एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है।दूसरे मुस्लिम राष्ट्रों में हस्तक्षेप में सऊदी अरब के हस्तक्षेप की नई आक्रामक नीति का यह हिस्सा है।इस नीति के तहत उसने सीरिया और यमन में हस्तक्षेप किया और अब वह खाड़ी को अस्थिर करने की कोशिश में है।
द इंडिपेंडेंट ने जर्मन खुफिया एजेंसी बीएनडी के डेढ़ पन्ने की एक रिपोर्टसे यह खुलासा किया है। इसमें बताया गया है कि दूसरे देशों में हस्तक्षेप की नीति को सऊदी अरब के रक्षा मंत्री और नायब शहजादा मोहम्मद बिन सलमान तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं।वे शाह सलमान के सबसे प्रिय बेटे माने जाते हैं।
रिपोर्ट में जर्मनी की करीबी सऊदी अरब के नेतृत्व की खुलकर आलोचना की गई है।आश्चर्यजनक तौर पर दो दिसंबर को प्रकाशित हुई इस रिपोर्टका जर्मनी से बाहर कोई चर्चानहीं हुई। असल में 13 दिसंबर पेरिस और उसके बाद कैलिफोर्निया में गोलीबारी के बाद दुनिया का ध्यान आइएस से लड़ने पर केंद्रित हो गया था।पर दो जनवरी को सऊदी अरब में शिया धर्मगुरु निम्र अल-निम्र समेत 46 लोगों को मृत्युदंडमिलने के बाद रिपोर्ट अचानक से सुर्खियों में आ गई है।बीएनडी ने अपनी रिपोर्टमें उन क्षेत्रों की पहचान किया है जहां सऊदी अरब ज्यादा आक्रामकता दिखा रहा है।
गौरतलब हैकि प्रिंस सलमान ने बीते दिनों कहा था कि उनका देश ईरान के साथ लड़ाई नहीं चाहता।पर उनका अहंकार आसपास के देशों में किसी से छिपा नहीं है।इस तरह की आशंका जताई जा रही हैकि उनकी अनुभवनहीनता का सऊदी को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।सीरिया और यमन में उनके दांव अब तक असफल रहे हैं।अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु करार से भी वे नाराज बताए जाते हैं।अखबार ने कहा है कि इस समझौते को लेकर अमेरिका से शाह सलमान की नाराजगी की वजह भी रक्षा मंत्री ही माने जाते हैं।