हिलेरी को रूसी खुफिया एजेंसियों ने किया बदनाम, डोनाल्ड ट्रंप को बचाया
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ये अक्सर आरोप लगते रहे कि डोनाल्ड ट्रंप को रूस ने भरपूर मदद की थी।
वाशिंगटन(पीटीआई)। 2016 में संपन्न अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव विवादों से भरा रहा। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में उनके राजनीतिक विरोधियों और विश्लेषकों का ये मत रहा कि उन्हें रूस की तरफ से मदद मिलती रही। ट्रंप की विरोधी रहीं हिलेरी क्लिंटन ने भी कहा था कि उनके खिलाफ जितने भी दुष्प्रचार हुए उसमें रूस की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप की व्यक्तिगत और कारोबार के बारे में रूस सालों से जानकारियां इकठ्ठा कर रहा था। इसके अलावा रूस ने समय समय पर ट्रंप की मदद भी की। लेकिन ट्रंप ने कहा कि ये एक राजनीतिक दुष्प्रचार से ज्यादा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ खास लोग हमेशा से कोशिश में लगे रहे कि उन्हें राष्ट्रपति पद की कुर्सी नसीब न हो।
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बताया जा रहा है कि इस संबध में पिछले हफ्ते अमेरिका के चार खुफिया संस्थाओं (जिसमें एफबीआई और सीआइए) के पूर्व अधिकारियों ने ट्रंप और ओबामा को जानकारी दी थी। लेकिन ट्रंप ने कहा था इस तरह की बातों का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने अपने बलबूते चुनावी लड़ाई को लड़ा था। उनके चुनावी अभियान में रूस की किसी तरह की भूमिका नहीं थी।
एक खुफिया अधिकारी के मुताबिक रूस के पास हिलेरी क्लिंटन और ट्रंप दोनों के बारे में जानकारी थी। लेकिन रूस ने एक एजेंडा के तहत सिर्फ हिलेरी के बारे में सूचनाओं को सार्वजनिक किया। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का मानना है कि जिस तरह से रूस ने ट्रंप के बारे में जानकारियों को लीक नहीं किया उससे साफ है कि उनकी भावना ट्रंप को मदद पहुंचाने की थी।
बज फीड नाम की एक मशहूर साइट में करीब 36 पेज के दस्तावेजों का जिक्र है जिसमें ये बताया गया है कि वर्षों से रूस की खुफिया एजेंसी ट्रंप और हिलेरी के बारे में जानकारियां इकठ्ठा कर रही थीं। लेकिन एक खास एजेंडे के तहत रूस ने सिर्फ हिलेरी के बारे में जानकारियों को साझा किया। इसके अलावा कुछ ऐसे दस्तावेज भी सामने आए हैं जिससे साफ होता है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने साफ निर्देश दिए थे कि ट्रंप को चुनावी अभियान संचालित करने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आनी चाहिए।