ब्रेक्जिट के मुद्दे पर यूरोपीय संसद में जमकर चले अपशब्दों के बाण
यूरोपीय संसद में आज सदस्यों के बीच ब्रेक्जिट के मुद्दे पर जमकर बहस हुई। इस दौरान सदस्य अपनी जुबान पर भी काबू नहीं रख सके।
ब्रसेल्स। ब्रक्जिट के मुद्दे पर आज ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय संसद में जमकर बवाल हुआ। इस दौरान ब्रेक्जिट की मुहिम का समर्थन करने वाले नीजेल फराज ने जमकर यूरोपियन यूनियन की आलोचना की। इस दौरान उनकी और यूरोपियन यूनियन कमिशन के प्रमुख क्लॉद युंकर के बीच भी तीखी नोंकझोंक हुई। ब्रेग्जिट के मुद्दे पर काफी बहस हुई। बहस इतनी बढ़ गई कि संसद सदस्यों का अपनी जुबान पर कंट्रोल नहीं रहा। फर्स्ट पोस्ट की खबर के मुताबिक इस दौरान संसद के अध्यक्ष मार्टिन ने कई बार सदस्यों को अपने ऊपर कंट्रोल रखने की नसीहत दी लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।
ब्रेक्जिट के मुद्दे पर बुलाई गई संसद की आपात बैठक में फराज ने सदस्यों को यह तक कह दिया कि आपने अपने जीवन में कभी कोई सही काम नहीं किया होगा। इसके जवाब में एक अन्य सदस्य ने कहा कि आपने ब्रेक्जिट की मुहिम चलाई लेकिन ज्यादातर लोगों ने ईयू में रहने को वोट किया ताेे फिर आप यहां पर क्या कर रहे हैं आपको यहां से चले जाना चाहिए। यह सुनकर फराज अपनी सीट पर खड़े होकर केवल मुस्कुराते ही रहे।
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बाद में जब फराज ने बोलना शुरू किया तो कुछ सदस्योंं ने विरोध शुरू कर दिया। विरोध के साथ-साथ इन लोगों ने हूटिंग भी की। इसके बावजूद फराज रुके नहीं और बोले कि ईयू नेता लाख समझाने के बावजूद नहीं समझ रहे। वे इस बात को ही मानने को तैयार नहीं हैं कि उनकी राजनीतिक योजना फेल हो चुकी है। संसद में यह भी बताया गया कि ब्रेग्जिट के बाद जो ऑनलाइन अभियान शुरू हुआ उसमें फराज को झूठा तक करार दिया गया।
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यूरोपीय संसद के मुताबिक ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग होने की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू कर देनी चाहिए। संसद में क्लॉद युंकर का कहना है कि इस बारे में ब्रिटेन को स्पष्ट रूप से यह बात बता देनी चाहिए वो कब अलग होने की प्रक्रिया शुरू करेगा। युंकर ने कहा कि वे बहुत दुखी हैं। क्योंकि वह न तो रोबोट हैं न ही ब्यूरोक्रैट और न ही उन्हें टेक्नोक्रेट कहा जा सकता है।
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वह यूरोपियन हैं इसलिए उन्हें ब्रिटेन के ईयू से अलग होने का दुख है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अनिश्चितता पूरी तरह से खत्म होनी चाहिए। उधर, जर्मन चांसलर एंगेला मर्कल ने अपने यहां की संसद में कहा कि जो देश ईयू के बाजार तक पहुंच चाहते हैं उन्हें लोगों की आवाज़ाही की आजादी स्वीकार्य करनी होगी।
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