शोधकर्ताओं को मिला लिवर की बीमारी का पता लगाने का नया तरीका
लिवर की बीमारी का पता लगाने का नया तरीका अमेरिकी शोधकर्ताओं ने लिवर की बीमारी का पता लगाने के लिए नया तरीका ईजाद करने का दावा किया है।
वाशिंगटन। लिवर की बीमारी का पता लगाने का नया तरीका अमेरिकी शोधकर्ताओं ने लिवर की बीमारी का पता लगाने के लिए नया तरीका ईजाद करने का दावा किया है। इसकी मदद से नॉन एलकोहलिक लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) के बारे में ज्यादा सटीक जानकारी हासिल की जा सकती है। दरअसल, शुरुआती दौर में एनएएफएलडी के लक्षण सामने नहीं आते हैं, लेकिन बाद में यह कैंसर का रूप धारण कर सकता है। इसमें लिवर टिश्यू सख्त हो जाता है। नई तकनीक थ्रीडी इमेजिंग के जरिये बनाई गई है। इसे मैग्नेटिक रेजोनेंस इलास्टोग्राफी (एमआरई) का नाम दिया गया है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि थ्रीडी एमआरई फाइब्रोसिस के बारे में शुरुआत में ही जानकारी देने में सक्षम है। फाइब्रोसिस से लिवर में जरूरत से ज्यादा फाइब्रस कनेक्टिव टिश्यू उत्पन्न होता है। एमआरई लिवर टिश्यू की कठोरता को बताने में सक्षम है। टिश्यू का सख्त होना फाइब्रोसिस का संकेतक है।
ट्यूमर के विकास में मददगार है कोलेस्ट्रॉल
ट्यूमर में लगातारक वृद्धि के चलते कैंसर ज्यादा प्राण घातक हो जाता है। ट्यूमर के फैलने के कई कारण होते हैं और इन्हीं में से एक है कोलेस्ट्रॉल। कनाडा और ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिकों ने संयुक्त शोध में पता लगाया है कि हानिकारक कोलेस्ट्रॉल ट्यूमर के विकास में सहायक होता है। ट्यूमर अपने विकास के लिए लिपिड का इस्तेमाल करता है। ट्यूमर लिपिड के स्राव को भी नियमित करता है। हानिकारक कोलेस्ट्रॉल लिवर में लो डेंसिटी लिपोप्रोटींस (एलडीएल) रिसेप्टर से मजबूती से जुड़ा होता है।
नमक की अधिकता से लिवर को भी खतरा
कैंसर पीडि़तों में ट्यूमर लिवर को ज्यादा कोलेस्ट्रॉल की जरूरत का संकेत देता है। ऐसे में लिवर आवश्यकतानुसार लिपिड का स्राव पड़ता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम कर इस चक्र को तोड़ा जा सकता है। इस खोज के बाद कैंसर से निपटने की नई उम्मीद जगी है।
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