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नेपाल ने चीन में सुनाई भारत को खरी-खोटी

नए संविधान के विरोध में चार महीने से चल रहे आंदोलन के लिए नेपाल ने एक बार फिर भारत को जिम्मेदार ठहराया है। चीनी की यात्रा पर गए नेपाल के विदेश मंत्री कमल थापा ने शुक्रवार को भारत पर अघोषित नाकेबंदी का आरोप लगाया।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2015 09:08 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2015 09:12 PM (IST)
नेपाल ने चीन में सुनाई भारत को खरी-खोटी

बीजिंग: नए संविधान के विरोध में चार महीने से चल रहे आंदोलन के लिए नेपाल ने एक बार फिर भारत को जिम्मेदार ठहराया है। चीनी की यात्रा पर गए नेपाल के विदेश मंत्री कमल थापा ने शुक्रवार को भारत पर अघोषित नाकेबंदी का आरोप लगाया।

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अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बीजिंग में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति रोकने से नेपाल की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।

इससे पहले ईधन और अन्य वस्तुओं की किल्लत दूर करने के लिए उन्होंने चीन से मदद मांगी। वांग यी के साथ चर्चा में उन्होंने और व्यापारिक नाके खोलने व पेट्रोलियम पदार्थो की आपूर्ति के लिए दीर्घकालीन व्यापारिक समझौते का अनुरोध किया।

थापा ने चीनी नागरिकों के लिए बिना वीजा यात्रा सुविधा का एलान भी किया। इसके बदले में वांग यी ने अप्रैल में विनाशकारी भूकंप के बाद नेपाल यात्रा को लेकर जारी अलर्ट समाप्त करने की घोषणा की।

चीन की यात्रा पर जाने वाले थापा नेपाल की नई सरकार के पहले शीर्ष मंत्री हैं। अपने तीन महीने के कार्यकाल में वे दो बार भारत भी आ चुके हैं। पूर्व में भी नेपाल के नेता घरेलू हालात का ठीकरा भारत पर फोड़ने की कोशिश कर चुके हैं। पर पहली बार विदेशी जमीन से यह आरोप दोहराया गया है।

गौरतलब है कि नए संविधान में उपेक्षा से नाराज मधेशियों के आंदोलन के कारण नेपाल आवश्यक वस्तुओं की किल्लत से जूझ रहा है। मधेशियों ने भारत से लगी सीमा की नाकेबंदी भी कर रखी है।

भारत, चीन का नहीं बने अखाड़ा

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि भारत और उनके देश के बीच नेपाल अखाड़ा नहीं बनना चाहिए। उन्होंने भारत से नेपाल को समान साझेदार के तौर पर देखने की अपील की है। थापा के साथ साझा प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा,' चीन का मानना है कि इन देशों का आकार कुछ भी हो लेकिन वे समान हैं।

चीन और नेपाल ने हमेशा एक-दूसरे के साथ गंभीरता से और समान व्यवहार किया है। हम उम्मीद करते हैं कि यही नीति और व्यवहार भारत की ओर से भी अपनाया जाएगा।'


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