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मंगल पर जीवन के दावे को साबित करेगा क्यूरियोसिटी

मंगल ग्रह पर गए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के क्यूरियोसिटी रोवर से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह साबित किया जा सकेगा कि इस ग्रह पर जीवन के संकेत 30 साल पहले पाए गए थे। अमेरिकी वैज्ञानिक गिलबर्ट लेविन ने यह दावा किया है। 1

By Edited By: Published: Fri, 10 Aug 2012 05:44 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2012 06:28 PM (IST)
मंगल पर जीवन के दावे को साबित करेगा क्यूरियोसिटी

लंदन। मंगल ग्रह पर गए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के क्यूरियोसिटी रोवर से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह साबित किया जा सकेगा कि इस ग्रह पर जीवन के संकेत 30 साल पहले पाए गए थे। अमेरिकी वैज्ञानिक गिलबर्ट लेविन ने यह दावा किया है। 1976 में नासा के 'विकिंग मिशन' के अंतर्गत 'लेबल्ड रिलीज' एक्सपेरिमेंट का नेतृत्व उन्होंने ही किया था। यह मिशन मंगल पर गया था।

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लेविन को उम्मीद है कि क्यूरियोसिटी उनके उस दावे का प्रमाण उपलब्ध कराएगा जिसमें उन्होंने कहा था कि मंगल पर कार्बनिक अणुओं का पता चला है। विज्ञान पत्रिका न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक मंगल पर जीवन की खोज संबंधी इस वैज्ञानिक के सिद्धांत का पहले खंडन किया गया था।

क्यूरियोसिटी की खोज से उनके सिद्धांत को फिर से स्थापित किया जा सकता है। अपने 1976 के प्रयोग में लेविन ने मंगल ग्रह की मिट्टी को रेडियोएक्टिव कार्बन वाले पोषक तत्व के साथ मिलाया था। उनकी परिकल्पना में कहा गया था कि यदि मिट्टी में बैक्टीरिया मौजूद होंगे तो वे पोषक तत्व में रासायनिक क्रिया प्रारंभ करेंगे और कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में अणुओं को मुक्त करेंगे। प्रयोग में पाया गया कि कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त हुआ और इससे पता चला कि मंगल की मिट्टी में रेडियोएक्टिव कार्बन परमाणु मौजूद हैं। हालांकि एक अन्य प्रयोग में इसका विरोधाभास सामने आया। विकिंग का 'गैस क्रोमैटोग्राफ मास स्पेक्ट्रोमीटर' कार्बन अणुओं की खोज कर रहा था, लेकिन उसे वैसा कुछ नहीं मिला। नासा के वैज्ञानिकों ने लेविन की खोज का खंडन करते हुए कहा था कि इन मॉड्यूल्स के बिना मंगल पर जीवन नहीं हो सकता है। अब यदि क्यूरियोसिटी कार्बनिक अणुओं का पता लगाता है तो लेविन अपने वास्तविक आंकड़ों का फिर से विश्लेषण करना चाहेंगे।

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