ईरानी संसद पर आइएस का हमला, 12 की मौत, चारों हमलावर ढेर
आइएस ने शिया बहुल देश ईरान पर पहला बड़ा हमला किया है। आत्मघाती हमलावर संसद और क्रांतिकारी नेता खुमैनी के मकबरे में घुस गए।
तेहरान, एएफपी/रायटर। आतंकी संगठन आइएस ने शिया बहुल देश ईरान पर पहला बड़ा हमला किया है। बुधवार सुबह आत्मघाती हमलावर बंदूक लेकर देश की संसद और क्रांतिकारी नेता अयातुल्लाह खुमैनी के मकबरे में घुस गए। इस हमले में 12 लोगों की मौत हो गई और 42 अन्य घायल हो गए। आतंकियों ने लोगों को भी बंधक बना रखा था। पुलिस ने करीब पांच घंटे बाद हमलावरों को मार गिराया। हमले के समय संसद की कार्यवाही जारी थी। राष्ट्रपति हसन रूहानी ने हमले की निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ दुनियाभर के देशों से एकजुट होने का आह्वान किया है।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, चार बंदूकधारी तेहरान स्थित संसद में घुस गए, जहां उन्होंने एक सुरक्षाकर्मी और एक अन्य शख्स को मार गिराया। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सभी आतंकी महिलाओं की पोशाक पहनकर आगंतुकों के लिए बने प्रवेश द्वार से अंदर घुसे थे। ठीक उसी समय, तीन से चार आतंकी ईरान के क्रांतिकारी नेता अयातुल्लाह रहोल्लाह खुमैनी के मकबरे के परिसर में घुस गए। यहां आतंकियों के हमले में एक माली की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। मकबरे पर हमला करने वाले लोगों में एक महिला भी थी, जिसने खुद को उड़ा लिया। संसद कार्यालय की इमारत में एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोट कर दिया। पुलिस ने टूटी हुई खिड़कियों से लटके स्टाफों को बाहर निकाला। यहां की सभी मोबाइल सेवा भी बंद कर दी गई थी। हमले के चलते शहर की प्रमुख सड़कों और मेट्रो को बंद कर दिया गया।
आइएस ने पहले भी दी थी धमकी
--आइएस ने अपनी समाचार एजेंसी 'अमक' पर संसद के अंदर का २४ सेकंड का वीडियो जारी कर इन हमलों की जिम्मेदारी ली है।
--आइएस ने इसी साल मार्च में वीडियो जारी कर आगाह किया था कि वह ईरान पर कब्जा करेगा और उसे सुन्नी देश में बदल देगा।
--सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई ने रविवार को कहा था कि यूरोप और अन्य देशों में आइएस का हमला अरब में पश्चिमी देशों की विफलता है।
ईरान और आइएस में पुरानी है तनातनी
ईरान और आइएस में विरोध का पुराना इतिहास रहा है। सुन्नी जिहादी संगठन आइएस शिया बहुल ईरान को धर्मभ्रष्ट देश मानता है। दूसरी तरफ तेहरान सीरिया और इराक में आइएस के खिलाफ लड़ाई में शामिल है। इन दोनों देशों में वह कई बार जिहादियों के खिलाफ विमान से बम बरसा चुका है। इसके अलावा आइएस इराक में शिया धर्मस्थलों को नष्ट करता रहता है। शिया बहुल ईरान को यह मंजूर नहीं है।
अमेरिका, सऊदी अरब पर लगाया आरोप
ईरान में आइएस के हमले से क्षेत्र में और तनाव बढ़ने की आशंका है। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड ने इसका बदला लेने का संकल्प लेते हुए इसके पीछे अमेरिका और सऊदी अरब का हाथ बताया है। उल्लेखनीय है कि इसी सोमवार को सऊदी अरब समेत पांच बड़े खाड़ी देशों ने कतर पर आइएस से रिश्ते रखने और ईरान से संपर्क बढ़ाने का आरोप लगाते हुए संबंध तोड़ लिया था।
सात साल में पहला हमला
ईरान में आखिरी बार 2010 में आत्मघाती हमला हुआ था। इसमें 39 लोगों की जानें गईं। यह हमला सिस्तान बलूचिस्तान में हुआ था, जिसकी सीमा पाकिस्तान से लगती है। ईरान के इसी क्षेत्र में आतंकी सबसे अधिक सक्रिय हैं। रमजान में साजिश पिछली साल ईरान सरकार ने कहा था कि उसने रमजान के दौरान वहां के शहरों में आतंकी हमले की बड़ी साजिश को विफल किया है। इस साल का हमला भी रमजान के पवित्र महीने में किया गया है। सांकेतिक हमला हमला ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्लाह खुमैनी के मजार पर भी किया गया है। उन्हें 1979 की इस्लामिक क्रांति के लिए जाना जाता है। ईरान पर पड़ रहे पाश्चात्य प्रभाव को खत्म करने के लिए उन्होंने पर्शिया की राजशाही को वहां से खत्म किया। उन्होंने शिया मुस्लिम मुल्क स्थापित किया। उन्हें ईरान के सुप्रीम नेता का दर्जा दिया गया है।