गाजा को दोबारा शहर बनाने में लगेंगे 20 साल, खर्च होंगे 363 अरब रुपये
पूरे पचास दिनों तक इजरायल की मिसाइलों और टैंकों से हुई गोलाबारी को झेलने के बाद दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक गाजा पट्टी की सूरत किसी उजड़े चमन जैसी हो गई है। चारों ओर विनाशलीला साफ दिखाई देती है। स्थायी संघर्ष विराम से थमी लड़ाई के बाद एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अनुमान लगाया है कि गाजा को दोबारा शहर की शक्ल देने में 20 साल और करीब
गाजा। पूरे पचास दिनों तक इजरायल की मिसाइलों और टैंकों से हुई गोलाबारी को झेलने के बाद दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक गाजा पट्टी की सूरत किसी उजड़े चमन जैसी हो गई है। चारों ओर विनाशलीला साफ दिखाई देती है। स्थायी संघर्ष विराम से थमी लड़ाई के बाद एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अनुमान लगाया है कि गाजा को दोबारा शहर की शक्ल देने में 20 साल और करीब छह अरब डॉलर (363 अरब रुपये) खर्च करने होंगे।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और रेडक्रॉस की सहभागिता वाली संस्था शेल्टर क्लस्टर ने शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा है कि 18 लाख की घनी आबादी वाले इस इलाके में पुनर्निर्माण कार्यो में बहुत दिक्कत आएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, अभी पिछली दो भिड़ंतों के जख्म भी पूरी तरह से नहीं भर पाए थे और इस भीषण लड़ाई ने गाजा को नए सिरे से उजाड़कर रख दिया।
यहां इस्लामी आतंकी समूह हमास द्वारा 2007 में सत्ता संभालने के बाद मिस्त्र और इजरायल ने इस इलाके की घेराबंदी कर दी है। इजरायल ने कंक्रीट समेत इमारत बनाने के दूसरे सामानों पर रोक लगाई हुई है। उसे डर है कि हमास आतंकी इनका इस्तेमाल रॉकेट और सीमा के पास सुरंगें बनाने में कर सकते हैं। मिस्त्र और नॉर्वे ने अगले महीने गाजा दान सम्मेलन बुलाए जाने की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।
हालिया लड़ाई में करीब 17,000 घर नष्ट हुए हैं। गाजा में पहले से ही करीब 75 हजार घरों की कमी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि रोजाना 100 ट्रक निर्माण सामग्री लाई जाए तो 20 साल में यह सब कुछ हो पाएगा। पचास दिन चली इस लड़ाई में करीब 2,100 फलस्तीनी मारे गए थे।