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पंजाब के 'शेर' के सफर की पूरी कहानी

नवाज शरीफ की लोकप्रियता का आलम इसी बात से पता चलता है कि पाकिस्तान के पंजाब में इन्हें वहां का शेर कहा जाता है। सबा के शिखर पर पहुंचने की कहानी पर पेश है एक नजर। जन्म व प्रारंभिक शिक्षा 25 दिसंबर, 1

By Edited By: Published: Mon, 13 May 2013 08:55 AM (IST)Updated: Mon, 13 May 2013 08:55 AM (IST)
पंजाब के 'शेर' के सफर की पूरी कहानी

इस्लामाबाद। नवाज शरीफ की लोकप्रियता का आलम इसी बात से पता चलता है कि पाकिस्तान के पंजाब में इन्हें वहां का शेर कहा जाता है। सबा के शिखर पर पहुंचने की कहानी पर पेश है एक नजर।

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जन्म व प्रारंभिक शिक्षा

25 दिसंबर, 1949 में लाहौर के एक व्यवसायी परिवार में पैदा हुए। 1947 उनके पिता मुहम्मद शरीफ अमृतसर से पाकिस्तान चले गये थे। उनकी शिक्षा लाहौर के सेंट एंथनी स्कूल व गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी लाहौर से हुई।

राजनीति में पदार्पण

1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने उनके स्टील के व्यवसाय का राष्ट्रीयकरण कर दिया। इसके बाद वे सक्रिय राजनीति में आए और जियाउल हक के काफी करीब रहे। जिया उल हक ने उन्हें 1981 में पंजाब का वित्त मंत्री बनाया फिर 1985 में वे पंजाब के मुख्यमंत्री बनाए गए।

राष्ट्रीय राजनीति में शिरकत

अगस्त 1988 में जियाउल हक की मौत के बाद जिया समर्थकों का नेतृत्व शरीफ ने किया। नवंबर 1988 में हुए चुनाव में बेनजीर भुट्टो ने जीत हासिल की, और शरीफ नेता प्रतिपक्ष बने।

पहली बार प्रधानमंत्री

एक नवंबर, 1990 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन सेना के हस्तक्षेप के बाद शरीफ ने जुलाई 1993 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसी वर्ष हुए चुनाव में बेनजीर दूसरी बार सत्ता में आई शरीफ नेता विपक्ष बने।

दोबारा शीर्ष पद

1997 का आम चुनाव जीतकर दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। शरीफ ने 28 व 30 मई 1998 में दो परमाणु विस्फोट कर पाकिस्तान को इस ताकत से लैस देशों की सूची में शामिल किया।

तख्तापलट

सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ और इनके बीच बढ़ती तनातनी के चलते एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत सेना ने इनका तख्तापलट कर दिया।

निर्वासन

मिलिट्री शासन में शरीफ पर मुकदमा चला और उन्हें मौत की सजा देने की तैयारी कर ली गई। इसकी भनक मिलते ही सउदी किंग फहद और बिल क्लिंटन ने सेना पर दबाब डाला, और उन्हें दस साल के लिए देश से निर्वासित कर दिया गया। 2007 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वे देश वापस लौटे।

2008 का आम चुनाव

आत्मघाती हमले में बेनजीर की मौत के बाद हुए चुनाव में शरीफ के दल पीएमएल-एन को मात्र 66 सीटें मिलीं।

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