संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद इस्लामाबाद में बनेगा पहला हिंदू मंदिर
पाक संसद की एक समिति ने इस्लामाबाद में एक भी हिंदू मंदिर न होने पर आश्चर्य जताया। संसदीय समिति के सदस्यों ने कहा कि हिंदुओं के मूल अधिकारों सम्मान किया जाना चाहिए।
इस्लामाबाद, आइएएनएस । संसद की एक समिति ने इस बात पर आश्चर्य जताया है कि देश की राजधानी में हिंदुओं का कोई पूजास्थल नहीं है। नेशनल असेंबली की धार्मिक मामलों की स्थायी समिति की उपसमिति की सोमवार को हुई बैठक में सरकार को इस्लामाबाद में हिंदुओं के लिए एक मंदिर बनाने का निर्देश दिया।
बैठक की अध्यक्षता समिति के संयोजक रमेश लाल ने की। मंदिर के साथ-साथ एक शवदाह गृह बनाने को भी कहा गया। रमेश लाल ने कहा, 'यह आश्चर्यजनक और दुखद है कि हिंदू समुदाय के पूजा-अर्चना के लिए इस्लामाबाद में एक भी मंदिर नहीं है।'
समाचार पत्र डॉन के अनुसार, समिति को बताया गया था कि इस्लामाबाद में कम से कम 500 हिंदू रहते हैं। परिवार में किसी की मृत्यु होने पर उन्हें अंतिम संस्कार के लिए रावलपिंडी जाना पड़ता है। रमेश लाल ने कहा, देश में अल्पसंख्यकों के साथ सरकार यह कैसा बर्ताव कर रही है। हिंदुओं का मूल अधिकार है कि प्रार्थना के लिए उनके शहर में एक मंदिर हो। समिति ने सरकार की उन चिंताओं को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि यहां हिंदू मंदिर बनाने से सुरक्षा व्यवस्था गड़बड़ा सकती है।
समिति के एक सदस्य ने सवाल भी उठाया, 'सरकार होटलों और रेस्त्राओं को सुरक्षा दे रही है तो एक मंदिर को क्यों नहीं दी सकती ?' समिति ने गिरजाघरों के नवीनीकरण के लिए धनराशि भी आवंटित करने को कहा। समिति ने सैदपुर इलाके में मंदिर के लिए जगह आवंटित करने का प्रस्ताव रखा। मालूम हो कि पाकिस्तान में हिंदुओं और ईसाइयों की जनसंख्या मात्र तीन फीसद है।