40 सालों में पहली बार ब्रिटेन के बिना हुई यूरोपीय संघ की बैठक
पिछले सप्ताह ऐतिहासिक जनमत संग्रह में ब्रटेन की जनता ने समूह से निकलने का फैसला सुनाया था।
ब्रसेल्स, रायटर/एएफपी। ब्रेक्जिट के साये को छोड़कर यूरोपीय संघ (ईयू) ने बुधवार को नए सफर की शुरुआत की। 40 सालों में पहली बार समूह की बैठक ब्रिटेन के बिना हुई । ब्रिटेन एक जनवरी 1973 को इस समूह का सदस्य बना था। पिछले सप्ताह ऐतिहासिक जनमत संग्रह में वहां की जनता ने समूह से निकलने का फैसला सुनाया था।
27 देशों के नेताओं की बैठक में ब्रेक्जिट से पैदा आर्थिक व राजनीतिक भ्रम की स्थिति दूर करने और समूह की एकता बनाए रखने पर चर्चा हुई। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए समूह के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने कहा कि स्वतंत्र आवागमन सहित अन्य नियमों को माने बिना ब्रिटेन किसी भी सदस्य देश के साथ कारोबार नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि इस मसले पर अगला सम्मेलन 16 सितंबर को स्लोवाकिया की राजधानी ब्राटिस्लावा में होगा।
इससे पहले समूह के नेताओं से मुलाकात में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने साफ कर दिया कि उनका देश अब ईयू में नहीं लौटेगा। आवागमन की स्वतंत्रता से जुड़े नियमों में सुधार और यथासंभव निकट आर्थिक संबंध बनाए रखने की वकालत कर वे मंगलवार को ही लंदन लौट गए। साथ ही साफ कर दिया कि उनका उत्तराधिकारी ही बाहर निकलने की दो साल लंबी प्रक्रिया शुरू करेगा।
जनमत संग्रह के नतीजों के बाद कैमरन ने अक्टूबर तक पद छोड़ने की घोषणा की थी। उनके उत्तराधिकारी का चुनाव सितंबर तक होने की उम्मीद है। उनसे मुलाकात के बाद ईयू के नेताओं ने भी ब्रिटेन को निकालने की प्रक्रिया शुरू करने की जल्दबाजी छोड़ दी। टस्क ने कहा कि हालात को देखते हुए ब्रिटेन को कुछ समय देने का फैसला किया गया है। हालांकि यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाउड जंकर ने कहा है कि ब्रिटेन को महीनों का समय नहीं मिलेगा। कैमरन के उत्तराधिकारी को जिम्मेदारी संभालते ही इस प्रक्रिया की शुरुआत करनी होगी।
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सदस्यता की जुगाड़ में स्कॉटलैंड
स्कॉटलैंड की फर्स्ट मिनिस्टर निकोला स्ट्र्रूगन बुधवार को ब्रसेल्स में ईयू नेताओं से मिलीं। यूरोपीय संसद के अध्यक्ष मार्टिन शल्ज से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि स्कॉटलैंड समूह से बाहर नहीं जाना चाहता है। हालांकि ब्रिटेन से अलग हुए बिना स्कॉटलैंड को सदस्यता मिलने की संभावना नहीं दिख रही। स्ट्र्रूगन ने दोहराया कि अलग होने के मसले पर स्कॉटलैंड फिर से जनमत संग्रह करा सकता है। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ब्रिटेन ने 48 के मुकाबले 52 फीसद मतों से ब्रेक्जिट पर मुहर लगाई थी। लेकिन, स्कॉटलैंड में ज्यादातर वोट इसके खिलाफ पड़े थे।
संसद के बाहर प्रदर्शन
ब्रिटेन की संसद के बाहर हजारों लोगों ने ब्रेक्जिट के पक्ष में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी यूरोपीय संघ के समर्थन में नारे लगा रहे थे।
नेक्जिट को ना
नीदरलैंड की संसद ने ईयू की सदस्यता को लेकर ब्रिटेन की तरह जनमत संग्रह कराने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। नेक्जिट पर विपक्ष की नेता की ओर से लाए गए प्रस्ताव के समर्थन में 150 सदस्यीय संसद में केवल 14 वोट पड़े।
कैमरन ने लेबर नेता को दी पद छोड़ने की सलाह
कैमरन ने मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉरबिन को अपने पद से इस्तीफा देने की सलाह दी है। संसद में उन्होंने कहा कि उनका अपने पद पर बने रहना मेरी पार्टी के हित में है। लेकिन, यह देश हित में नहीं है। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। जनमत संग्रह के दौरान ईयू सदस्यता का सही तरीके से बचाव नहीं करने को लेकर कोरबिन अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर हैं। उनके खिलाफ पार्टी सांसदों की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव मंगलवार को पारित हो गया था। इसके पक्ष में 172 और विरोध में 40 वोट पड़े। हालांकि यह बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इससे उन पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ेगा।
पांव पर खुद मारी कुल्हाड़ी : बिलमोरिया
प्रमुख भारतवंशी उद्योगपति लॉर्ड करन बिलमोरिया ने कहा है कि ईयू से अलग होने का फैसला कर ब्रिटेन ने अपने पांव पर खुद कुल्हाड़ी मार ली है। उन्होंने इस फैसले के कारण पैदा अनिश्चितता का माहौल कई सालों तक बने रहने की आशंका जताई है।