शरणार्थियों को पनाह दें यूरोपीय देश
यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ने शरणार्थियों के सैलाब को देखते हुए इस संकट को साझा करने के लिए यूरोपीय संघ के देशों से अनिवार्य व्यवस्था को स्वीकार करने को कहा है।
स्ट्रासबोर्ग। यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ने शरणार्थियों के सैलाब को देखते हुए इस संकट को साझा करने के लिए यूरोपीय संघ के देशों से अनिवार्य व्यवस्था को स्वीकार करने को कहा है। इसके अलावा देशों के बीच सीमा सुरक्षा को सुधारने और अवैध शरणार्थियों को स्वदेश भेजने के लिए भी कहा है।
यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाउड जंकर ने यूरोपीय संसद को संबोधित करते हुए एक लाख 60 हजार शरणार्थियों को 28 देशों में बांटने की योजना पेश की। उन्होंने भविष्य में संकट से निपटने के लिए एक स्थायी शरणार्थी तंत्र बनाने का वादा किया। अनिवार्य साझेदारी व्यवस्था का समर्थन करते हुए कहा कि यूनान, हंगरी और इटली को यूरोप अकेला नहीं छोड़ सकता। शरणार्थियों के प्रवेश वाले ये प्रमुख देश हैं। उन्होंने यूरोपवासियों से मानवता और सम्मान के साथ शरणार्थियों का अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व और अफ्रीका के लोगों के लिए यूरोप आशा की एक किरण है। अर्थव्यवस्था, यूनान ऋण संकट, यूक्रेन और जलवायु परिवर्तन के मुकाबले शरणार्थी संकट शीर्ष प्राथमिकता है।
जंकर के प्रस्ताव का यूरोपीय देशों कई नेताओं ने विरोध किया। इटली के सांसद जी. बुओनेन्नो ने जंकर के भाषण के बीच कहा कि जर्मनी की चांसलर शरणार्थी नीति को यूरोप पर थोप रही हैं। इंग्लैंड ने नेता ने कहा कि यूरोप आने वाले अधिकतर आर्थिक तंगी वाले शरणार्थी हैं और यूरोप को आस्ट्रेलिया की तरह 'नौका रोको' नीति अपनानी चाहिए। कई पूर्वी तथा मध्य यूरोपीय देशों ने अनिवार्य व्यवस्था को खारिज किया है। जबकि स्लोवाकिया जैसे कुछ देश केवल थोड़े ईसाइयों को पनाह देना चाहते हैं। लेकिन जर्मनी, फ्रांस और इटली के सख्त दबाव के बाद यूरोपीय एकजुटता तरफ झुकाव हुआ है।
अतिथि श्रमिक की भूल से सीख लें : मर्केल
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि जर्मनी को युद्ध बाद के अतिथि श्रमिकों के मामले में हुई भूल से सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने वर्तमान में जर्मनी आ रहे शरणार्थियों के संदर्भ में यह बात कही। दूसरे विश्व युद्ध के बाद दशकों तत्कालीन पश्चिमी जर्मनी ने श्रमिकों की कमी से निपटने के लिए बाहर से आने वालों को प्रोत्साहित किया था। किंतु तुर्की, यूनान और इटली से आने वालों को अतिथि श्रमिक बताया। ऐसा इसलिए कि वह काम पूरा होने पर अपने देश लौट जाएंगे। मर्केल ने कहा कि जर्मनी को अब उससे भिन्न रुख अपनाने की जरूरत है। जो शरणार्थी आ रहे हैं, उन्हें हमारी मदद की जरूरत है ताकि जल्द हमसे जुड़ सकें।
हंगरी में घेराबंदी तोड़ी
हंगरी के रोस्जके में चार-पांच सौ शरणार्थियों ने सर्बिया सीमा पर पुलिस की घेराबंदी को तोड़ दिया। शरणार्थी पास के रजिस्ट्रेशन केंद्र ले जाए जाने से पहले एक एक जगह जमा थे। वे शिविर में ले जाने का विरोध कर रहे थे। नारे लगाते हुए वे सभी दिशाओं में भाग गए। कुछ बुडापेस्ट जाने वाली सड़क पर गए जिसे पुलिस ने बंद कर दिया।
जापान पनाह पर सख्त
जापान शरणार्थियों को पनाह देने में और सख्ती बरतेगा। उसने पिछले साल पांच हजार आवेदकों में से 11 शरणार्थियों को पनाह दी थी। एक अधिकारी ने कहा कि जापान की नीति में बदलाव पर विचार किया जा रहा है। इसके तहत आवेदन खारिज होने पर स्वदेश भेजना, बार-बार आवेदन देने पर रोक और शरण मांगने वाले नए लोगों की पूर्व जांच का प्रावधान शामिल है।
12 हजार शरणार्थियों को पनाह देगा आस्ट्रेलिया
आस्ट्रेलिया ने सीरिया से आनेवाले 12 हजार शरणार्थियों को पनाह देने की घोषणा की। साथ ही वह सीरिया में आइएस के खिलाफ हवाई हमले में अपनी भूमिका बढ़ाएगा। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने कहा कि वार्षिक कोटा 13,750 में सीरिया से आने वालों को अधिक संख्या में रखा जाएगा। इसके अलावा उन्होंने सीरिया और इराक के पड़ोसी देशों में विस्थापित दो लाख 40 हजार लोगों के लिए तीन करोड़ 10 लाख डॉलर (करीब 2.06 अरब रुपये) देने का एलान किया। उन्होंने कहा कि आतंकी संगठन आइएस से मुकाबले के अंतरराष्ट्रीय प्रयास में आस्ट्रेलिया शामिल रहेगा। आस्ट्रेलिया इराक में हवाई हमले में शामिल है लेकिन सीरिया में वह विमानों के ईंधन भरने और खुफिया सूचना जुटाने का काम कर रहा है। एबोट ने कहा कि अब सीरिया में हवाई हमले में भूमिका बढ़ाएंगे।
इस साल चार लाख शरणार्थी पहुंचेंगे यूरोप : संरा
जेनेवा : संयुक्त राष्ट्र से इस साल और अगले साल साढ़े आठ लाख शरणार्थियों के यूरोप पहुंचने का अनुमान लगाया है। संरा की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर के मुताबिक, भूमध्यसागर होकर 2015 में चार लाख और 2016 में साढ़े चार लाख शरणार्थी यूरोप में आएंगे। इस साल अब तक तीन लाख 66 हजार आ चुके हैं। एजेंसी ने बढ़ती संख्या से निपटने के लिए अधिक प्रभावी शरणार्थी नीतियां बनाने को कहा है।