अब अल नीनो बरपाएगा कहर!
बेमौसम बारिश की मार से बेदम किसानों को अब 'अल नीनो' रुलाएगा। वर्ष 2009 में चार दशकों का सबसे भीषण सूखा झेलने के बाद भारत में इस साल फिर अल नीनो के संकेत दिख रहे हैं। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने अल नीनो इफेक्ट की जानकारी दी है। वर्ष 2009
सिंगापुर। बेमौसम बारिश की मार से बेदम किसानों को अब 'अल नीनो' रुलाएगा। वर्ष 2009 में चार दशकों का सबसे भीषण सूखा झेलने के बाद भारत में इस साल फिर अल नीनो के संकेत दिख रहे हैं।
जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने अल नीनो इफेक्ट की जानकारी दी है। वर्ष 2009 में अल नीनो की वजह से ऑस्ट्रेलिया, भारत समेत पूरे एशिया में फसलें तबाह होने के बाद महंगाई ने आम आदमी को रुला मारा था। एक बार फिर अल नीनो भारतीय अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा सकता है।
70 फीसद संभावना जताई
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस साल अल नीनो की शुरुआत वसंत के मौसम में हुई है और यह अगली सर्दियों की शुरुआत तक बना रह सकता है। इस साल अल नीनो इफेक्ट का अनुमान जताने वाली यह दुनिया की पहली एजेंसी है। भारत में बेमौसम बारिश से फसलों को नुकसान के बाद दर्जनों किसान आत्महत्या कर चुके हैं। ऐसे में अगर मानसूनी बारिश कम रहती है तो यह स्थिति और बदतर हो सकती है।
भारतीय मौसम विभाग ने इस साल सामान्य से कुछ कम मानसूनी बारिश का अनुमान जताया है, साथ ही अल नीनो इफेक्ट की 70 फीसद उम्मीद जताई है।
पैदावारी पर होगा बुरा असर
फिलीपींस में अल नीनो के संकेत नजर आने लगे हैं। यहां आम मौसम चक्र के विपरीत पिछले तीन महीनों से बारिश नहीं हुई है। वहां के किसानों का कहना है कि उन्होंने बारिश न होने के कारण कोई पैदावार नहीं की है, किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में बारिश के मौसम के अंतिम दिनों में बरसात की कमी और विक्टोरिया में पूरी तरह से बारिश के अभाव को भी अल नीनो इफेक्ट का शुरुआती संकेत माना है।
क्या है अल नीनो इफेक्ट?
प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के पानी का तापमान बढऩे पर पूरी धरती के मौसम पर पडऩे वाले असर को अल नीनो प्रभाव कहा जाता है। इस असर के तहत एक ओर जहां एशिया और पूर्वी अफ्रीका में झुलसानेवाली गर्मी वाला मौसम बढ़ जाता है वहीं दक्षिणी अमेरिका में भारी बारिश और बाढ़ की स्थितियां बनती देखी जाती हैं।
[साभार: आइ नेक्स्ट]