दक्षिण चीन सागर में भारत के प्रवेश का चीन ने किया विरोध
चीन ने एक बार फिर भारत को लेकर अपनी दोहरी नीति दिखाई है।
बीजिंग। चीन ने एक बार फिर भारत को लेकर अपनी दोहरी नीति दिखाई है। दक्षिण चीन सागर को विवादित क्षेत्र बताते हुए उसने भारत की तेल उत्खनन का विरोध किया है। पर यही सिद्धांत उसे गुलाम कश्मीर से गुजरने वाले अपनी महात्वाकांक्षी परियोजना के लिए मंजूर नहीं है। 46 अरब डॉलर के आर्थिक गलियारे को आजीविका से जुड़ा बताकर उसने इसका बचाव किया है।
विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के उप महानिदेशक हुआंग शिलियान ने कहा कि चीनी कंपनी यदि एक दक्षिण एशियाई पड़ोसी के साथ विवादास्पद क्षेत्र में काम करने जाती है तो भारत इसके खिलाफ प्रतिक्रिया करेगा। इसी तरह भारत की कंपनी ओएनजीसी द्वारा वियतनाम के दावे वाले दक्षिण चीन सागर में स्थित तेल कूपों में उत्खनन में भागीदारी पर चीन को आपत्ति है।
वे भारतीय पत्रकारों के एक शिष्टमंडल के साथ बात कर रहे थे। यह पूछे जाने पर कि आर्थिक गलियारे को लेकर यही सिद्धांत क्यों नहीं लागू हो सकता, हुआंग ने कहा कि ये परियोजनाएं राजनीतिक नहीं हैं। वे लोगों की भलाई के लिए हैं और चीन का इस क्षेत्र में कोई वाणिज्यिक परिचालन नहीं है।
गौरतलब है कि ओएनजीसी और वियतनाम के बीच तेल उत्खनन अनुबंध पर चीन पूर्व में भी आपत्ति जता चुका है। भारत इसे वाणिज्यिक परियोजना बताते हुए कह चुका है कि इसका राजनीतिकरण करने की जरूरत नहीं है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना अधिकार बताता है। वियतनाम, फिलीपींस, ब्रूनेई और तालिवान को इस पर आपत्ति है और कुछ हिस्सों पर वे भी अपना दावा बताते हैं।