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ईसाई युगल को जिंदा जलाने के मामले में 59 पर आरोप तय

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कुरान का अपमान करने के आरोप में ईसाई युगल को जिंदा जलाने के मामले में बुधवार को आतंकरोधी अदालत ने 59 लोगों के खिलाफ अभियोग तय किए। इनमें दो मौलवी और चार महिलाएं भी हैं। आतंकरोधी अदालत लाहौर के एक अधिकारी ने बताया कि जज

By Murari sharanEdited By: Published: Wed, 24 Dec 2014 06:30 PM (IST)Updated: Wed, 24 Dec 2014 11:56 PM (IST)
ईसाई युगल को जिंदा जलाने के मामले में 59 पर आरोप तय

लाहौर। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कुरान का अपमान करने के आरोप में ईसाई युगल को जिंदा जलाने के मामले में बुधवार को आतंकरोधी अदालत ने 59 लोगों के खिलाफ अभियोग तय किए। इनमें दो मौलवी और चार महिलाएं भी हैं।

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आतंकरोधी अदालत लाहौर के एक अधिकारी ने बताया कि जज हारुन लतीफ ने अन्य नौ आरोपियों को न्यायिक रिमांड में भेजने का आदेश दिया है। उन्होंने बताया कि अभियुक्तों द्वारा आरोपों से इंकार करने के बाद जज ने अभियोजन पक्ष को अगली सुनवाई में गवाहों को पेश करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई दो जनवरी को होगी।

नवंबर की घटना

चार नवंबर को कुरान का अपमान करने का आरोप लगाते हुए मुसलमानों के एक समूह ने 35 वर्षीय शहजाद मसीह और उसकी गर्भवती पत्नी 31 वर्षीय सायमा उर्फ शमा को ईट भट्ठी में जिंदा जला दिया था। भीड़ को तितर-बितर करने के बाद पुलिस ने राख से इनके शव बरामद किए थे। यह वीभत्स घटना लाहौर से 50 किमी दूर कासूर जिले के कोट राधा किशन में घटी थी।

वेतन विवाद को दिया धार्मिक रंग

पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के अनुसार जांच के दौरान कुरान के अपमान के कोई सबूत नहीं मिले। रिपोर्ट में कहा गया है कि भट्टा मालिक के साथ वेतन को लेकर शहजाद का विवाद था। शहजाद और उसकी पत्‌नी की भट्ठे पर बुरी तरह पिटाई कर उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया।

इसके कुछ देर बाद मस्जिद पर लगे लाउडस्पीकरों से आसपास के गांवों में कुरान का अपमान करने की बात फैलाई गई। इससे नाराज होकर सैकड़ों लोग भट्ठे पर पहुंचे और दोनों को भट्ठी में फेंक दिया।

50 लाख मुआवजा

पंजाब सरकार पीडि़त परिवार को 50 लाख रुपए और 10 एकड़ जमीन बतौर मुआवजा देगी। मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने बताया कि मृतक युगल के तीनों बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी सरकार उठाएगी।

पहली घटना नहीं

पाकिस्तान में ईसाइयों के खिलाफ वीभत्स अपराधों की यह पहली घटना नहीं है। पिछले साल मार्च में लाहौर में ईशनिंदा के आरोप में मुसलमानों ने ईसाइयों के 100 से ज्यादा घरों को आग के हवाले कर दिया था।

कानून का दुरुपयोग

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पाकिस्तान के विवादित ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने और आपसी लड़ाई झगड़े को निपटाने में किया जाता है।

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