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बो शिलाई की अपील खारिज, उम्रकैद की सजा बरकरार

भ्रष्टाचार, गबन और पद के दुरुपयोग के मामले में उम्रकैद की सजा पाए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बर्खास्त नेता बो शिलाई की अपील को चीन के हाई कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। इस अपील के खारिज होने का अर्थ है शिलाई के पास सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो गए हैं। अब उन्हें सजा भुगतनी होगी। सरकारी समाचार एजेंस

By Edited By: Published: Fri, 25 Oct 2013 05:06 PM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2013 06:01 PM (IST)
बो शिलाई की अपील खारिज, उम्रकैद की सजा बरकरार

बीजिंग। भ्रष्टाचार, गबन और पद के दुरुपयोग के मामले में उम्रकैद की सजा पाए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बर्खास्त नेता बो शिलाई की अपील को चीन के हाई कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। इस अपील के खारिज होने का अर्थ है शिलाई के पास सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो गए हैं। अब उन्हें सजा भुगतनी होगी।

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सरकारी समाचार एजेंसी शिंहुआ की रिपोर्ट के मुताबिक शेनदोंग हायर पीपुल्स कोर्ट ने निचली अदालत से मिली उनकी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। गत सितंबर में जिनान इंटरमीडिएट कोर्ट ने 64 वर्षीय शिलाई को भ्रष्टाचार के आरोपों में उम्र कैद, गबन के मामले में 15 साल और पद के दुरुपयोग मामले में सात साल कैद की सजा सुनाई थी।

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गत अगस्त में निचली अदालत ने मामले की सुनवाई पांच दिन तक की थी जिसकी खबरें मीडिया में सुर्खियां बनी थी, लेकिन हाई कोर्ट द्वारा सुनवाई की कोई खबर प्रकाशित नहीं हुई। अदालत ने कथित तौर पर अभियोजन द्वारा पेश किए गए सुबूतों की छानबीन करने के बाद उनकी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। जानकारों का कहना है कि 14 साल बाद शिलाई की सजा की समीक्षा हो सकती है।

उन्हें किस जेल में रखा गया है इस बात की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। माना जा रहा है कि उन्हें सजायाफ्ता कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के लिए बने जेल में रखा जाएगा, जोकि गेस्ट हाउस के समान है और वहां सभी सुविधाएं मौजूद हैं। उनकी पत्‍‌नी ग्यू केलाई पहले से ही जेल में हैं। उन्हें ब्रिटिश कारोबारी नील हेवुड की हत्या के मामले में पिछले साल मौत की सजा सुनाई गई थी। उनकी सजा को दो साल के लिए निलंबित रखा गया है।

चोंगकिंग नगर पालिका मेंकभी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख रहे शिलाई को पिछले साल नेतृत्व परिवर्तन से पहले देश की शक्तिशाली पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति का दावेदार माना जाता था। सात सदस्यीय यह समिति चीन की सत्ता पर प्रभावी रूप से नियंत्रण रखती है।

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